मनरेगा जल संरक्षण और ग्रामीण विकास की नई मिसाल, बदली गाँवों की तस्वीर

मनरेगा जल संरक्षण और ग्रामीण विकास की नई मिसाल, बदली गाँवों की तस्वीर
मनरेगा जल संरक्षण और ग्रामीण विकास की नई मिसाल, बदली गाँवों की तस्वीर

सूरजपुर, 04 जून 2025। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने सूरजपुर जिले के ग्रामीण अंचलों में जल संरक्षण, अवसंरचना विकास और कृषि आय में वृद्धि के जरिए बहुआयामी परिवर्तन ला दिया है। कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन और जिला पंचायत सीईओ श्रीमती कमलेश नंदिनी साहू के कुशल मार्गदर्शन में जनपद पंचायत ओड़गी और प्रतापपुर के ग्राम पंचायतों में लागू परियोजनाओं ने न केवल जल संसाधनों को मजबूती दी, बल्कि ग्रामीणों को रोजगार, आत्मनिर्भरता और समृद्धि का नया रास्ता भी दिखाया।

जल संरक्षण से बदली किसानों की तकदीर 

ग्राम पंचायत भांड़ी (ओड़गी) में हितग्राही आनंद/होलसाय की निजी भूमि पर मनरेगा के तहत निर्मित कूप ने पेयजल और सिंचाई की गंभीर समस्या को हल किया। इस कूप से न केवल श्री आनंद अब द्वितीय फसल ले पा रहे हैं, बल्कि जल सुविधा मिलने से उनकी आय में स्थायी वृद्धि हुई है। ग्रामसभा की स्वीकृति और तकनीकी प्रक्रिया के साथ पूर्ण इस परियोजना ने ग्रामीणों के जीवन में नई उम्मीद जगाई है।

पुलिया और बांध: आवागमन सुगम, खेती में क्रांति

जनपद पंचायत प्रतापपुर के ग्राम पंचायत खुंशी में वर्ष 2020-21 और 2022-23 में क्रमशः करीब 15.63 लाख और करीब 10.44 लाख की लागत से रनहत झरिया में मिट्टी बांध और कोदवारीपारा में नाले पर पुलिया का निर्माण किया गया। इन कार्यों ने न केवल आवागमन की कठिनाइयों को दूर किया, बल्कि 1 किलोमीटर क्षेत्र में जल संग्रहण को संभव बनाया। 6 मीटर चौड़ी और 50 मीटर लंबी सड़क के निर्माण से ग्रामीणों का जीवन सुगम हुआ, जबकि बांध ने जलस्तर बढ़ाकर गेहूं, सरसों जैसी फसलों का उत्पादन बढ़ाया। अब किसान स्थायी आय के स्रोतों से जुड़ रहे हैं।

चेक डेम: खेती और आजीविका का नया आधार 

ग्राम पंचायत मकनपुर में 2023-24 में 18.87 लाख की लागत से निर्मित सामुदायिक अर्दन चेक डेम ने रबी और खरीफ फसलों के लिए पर्याप्त सिंचाई जल सुनिश्चित किया। इस बांध से धान की खेती को विशेष बल मिला और जलस्तर में सतत वृद्धि ने मनरेगा के प्रति ग्रामीणों का भरोसा बढ़ाया। इसी तरह, ग्राम पंचायत सिलौटा के कोडाकुपारा में 8.91 लाख की लागत से बरपानी नाला पर निर्मित चेक डेम ने 50 एकड़ से अधिक भूमि में सिंचाई का विस्तार किया। मछलीपालन की शुरुआत और गेहूं, उड़द, साग-सब्जी जैसे उत्पादों ने ग्रामीणों को बाजार पर निर्भरता से मुक्त किया। प्रेमसाय, रमेश, रमेश्वर जैसे किसानों की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

रोजगार और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

इन परियोजनाओं ने ग्रामीणों को सालभर रोजगार के अवसर दिए। जल संरक्षण, कृषि उत्पादन, पशुपालन और मछलीपालन जैसे विविध आजीविका स्रोतों ने ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया। मनरेगा ने सूरजपुर के गाँवों में सतत विकास और समावेशी समृद्धि की नींव रखी है, जिससे ग्रामीण भारत के सपनों को नया उड़ान मिल रहा है।