हाथी-भालू का तांडव: दहशत,घर-खेत तबाह,महिला गंभीर रूप से घायल
वन विभाग की कागजी कार्रवाई से बेकाबू वन्यजीव, ग्रामीणों में खौफ का माहौल
सूरजपुर। जिले में वन्यजीवों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। सोमवार रात रामानुजनगर वन परिक्षेत्र के मेंड्रा सत्कोना पारा में करीब 12 हाथियों के झुंड ने गांव में घुसकर तांडव मचाया, कई घरों को ध्वस्त कर दिया और खेतों में रखे अनाज व फसलों को रौंद डाला। उधर, ओड़गी थाना क्षेत्र के रामपुर गांव में मंगलवार सुबह खेत में काम कर रही बसंती राजवाड़े पर तीन भालुओं ने हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। इन घटनाओं ने ग्रामीणों में दहशत फैला दी है, लोग घरों और खेतों से बाहर निकलने में डर रहे हैं। बहरहाल इन घटनाओं ने एक बार फिर वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग कागजी खानापूर्ति में माहिर है, लेकिन धरातल पर ठोस कार्रवाई नदारद है। क्षेत्र में गश्त की कमी, वन्यजीवों की निगरानी में लापरवाही और जंगल की ओर खदेड़ने के लिए प्रभावी उपायों का अभाव मानव-वन्यजीव संघर्ष को बढ़ा रहा है। नतीजतन, फसलों की बर्बादी, संपत्ति का नुकसान और अब इंसानी जिंदगी पर खतरा आम बात हो गई है।
हाथियों का कहर, घर-खेत बर्बाद
रामानुजनगर के मेंड्रा सत्कोना पारा में सोमवार रात करीब 12 हाथियों का दल गांव में घुस आया। ग्रामीणों के मुताबिक, हाथियों ने कई मकानों को तोड़ दिया और खेतों में रखे धान व अन्य फसलों को नष्ट कर दिया। अफरा-तफरी के बीच ग्रामीण जान बचाने के लिए घर छोड़कर भागे। कई दिनों से क्षेत्र में विचरण कर रहे इस झुंड ने ग्रामीणों की नींद उड़ा रखी है। वन विभाग की टीम रातभर मौके पर डटी रही, लेकिन हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने में नाकाम रही।
भालू के हमले से महिला की हालत नाजुक
दूसरी ओर, ओड़गी थाना क्षेत्र के रामपुर गांव में मंगलवार सुबह बसंती राजवाड़े खेत में काम कर रही थीं, तभी झाड़ियों से निकले तीन भालुओं ने उन पर हमला कर दिया। महिला की चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और शोर मचाकर भालुओं को भगाया, लेकिन तब तक बसंती गंभीर रूप से घायल हो चुकी थीं। जिला अस्पताल सूरजपुर में प्राथमिक इलाज के बाद उनकी नाजुक हालत को देखते हुए उन्हें मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर रेफर किया गया।
वन विभाग का रट्टा रटाया दावा, स्थिति पर नजर भौतिक धरातल पर परेशान ग्रामीण
वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी हमेशा की तरह घटनाओं के बाद रट्ट रटाया दावा करते हैं कि वह स्थिति पर नजर बनाए हुए है और हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने की कोशिशें जारी हैं। प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों में मुनादी करवा रहे हैं कि ग्रामीण वन्यजीवों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें और उकसाने वाली हरकतों से बचें। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी अपीलें और कागजी कार्रवाई अब उनके लिए महज खोखले वादे बनकर रह गए हैं।फिलहाल, सूरजपुर वनमंडल क्षेत्र के ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं। सवाल यह है कि कब तक वे वन्यजीवों के आतंक और वन विभाग की निष्क्रियता का खामियाजा भुगतते रहेंगे..?