रेण नदी हाइड्रो पावर प्लांट बना किसानों का काल: दो बार जलभराव से करीब 100 एकड़ फसल तबाह, मुआवजे की मांग ने लिया उग्र रूप
सूरजपुर/भैयाथान। भैयाथान क्षेत्र में रेण नदी पर संचालित हाइड्रो पावर प्लांट की लापरवाही और खराब इंजीनियरिंग ने स्थानीय किसानों की आजीविका पर गहरी चोट पहुंचाई है। परियोजना के तहत बनाए गए डायवर्जन मार्ग और संकरे पुलिया ने बरसाती नाले और बांध के पानी की निकासी को अवरुद्ध कर दिया, जिसके चलते पासल, भैयाथान और सत्यनगर गांवों के 100 एकड़ से अधिक खेत जलमग्न हो गए। जून और जुलाई में दो बार हुए जलभराव ने धान की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया, जिससे किसानों को दोहरी आर्थिक मार झेलनी पड़ी। गुस्साए किसानों ने प्रति एकड़ ₹63,000 मुआवजे की मांग को लेकर प्रशासन और कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, साथ ही उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। इसके अलावा किसान न केवल मुआवजे की मांग कर रहे हैं, बल्कि हाइड्रो पावर प्लांट के जल निकासी तंत्र में सुधार की भी अपील कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। प्रशासन के सामने अब दोहरी चुनौती है- एक तरफ किसानों के नुकसान की भरपाई और दूसरी तरफ परियोजना की तकनीकी खामियों को दुरुस्त करना। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला सामाजिक और राजनीतिक रूप से और जटिल हो सकता है। कुलमिलाकर रेहर नदी हाइड्रो पावर प्लांट की यह लापरवाही न केवल किसानों की आजीविका पर संकट बनकर उभरी है, बल्कि विकास परियोजनाओं के प्रति स्थानीय समुदाय का भरोसा भी डगमगा रही है।
जलभराव ने छीनी किसानों की उम्मीद, दो बार सड़ गई फसल
रेण नदी पर बने हाइड्रो पावर प्लांट के डायवर्जन मार्ग और अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था ने पासल और भैयाथान में करीब 70 एकड़ खेतों को पानी में डुबो दिया। वहीं, सत्यनगर में बांध के कारण जल निकासी रुकने से खेतों में 15 दिन तक पानी जमा रहा। जून में भारी बारिश के बाद पहला जलभराव हुआ, जिसने सैकड़ों एकड़ में बोई गई धान की फसल को सड़ने पर मजबूर कर दिया। मेहनत और पूंजी डूबने के बाद किसानों ने हिम्मत जुटाकर दोबारा बीज खरीदे और रोपाई (थहरा) की, लेकिन जुलाई में फिर से जलभराव ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। बीड़ा (रोपे गए पौधे) बह गए, खेतों की मेड़ टूट गई और फसल चक्र 20 दिन पीछे चला गया। इससे किसानों को बीज, मजदूरी, खेत समतल करने और अन्य कृषि कार्यों में भारी खर्च उठाना पड़ा, जिसने उनकी कमर तोड़ दी।
जनदर्शन में गूंजा किसानों का दर्द, मुआवजे की मांग
सोमवार को भैयाथान में आयोजित एसडीएम जनदर्शन में किसान नेता अभय प्रताप सिंह के नेतृत्व में दर्जनों प्रभावित किसानों ने अपनी व्यथा रखी। उन्होंने प्रति एकड़ ₹63,000 मुआवजे की मांग करते हुए बताया कि दो बार की फसल बर्बादी ने उन्हें कर्ज के बोझ तले दबा दिया है। किसानों ने आरोप लगाया कि हाइड्रो पावर कंपनी की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता ने उनकी मुसीबतें बढ़ाई हैं। इससे पहले भी किसानों ने कई बार प्रशासन और परियोजना प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जनदर्शन में किसानों की एकजुटता और गुस्से को देखते हुए माहौल तनावपूर्ण रहा।
प्रशासन ने दिखाई सक्रियता, जांच समिति ने लिया जायजा
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम सागर सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की। राजस्व निरीक्षक लक्ष्मी खलखो, पटवारी रामबहोरन पैकरा और रीना पांडेय ने सोमवार को पासल, भैयाथान और सत्यनगर के प्रभावित खेतों का दौरा किया। समिति ने प्रारंभिक आकलन में पाया कि पासल में 100% और सत्यनगर में 75% फसल क्षति हुई है। करीब 50 एकड़ से अधिक खेतों में फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है, जबकि कई खेतों की मेड़ टूटने से भविष्य की खेती भी प्रभावित होगी। लक्ष्मी खलखो ने बताया कि मंगलवार को विस्तृत रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर मुआवजे और अन्य राहत उपायों पर निर्णय लिया जाएगा।
किसानों का आक्रोश: "कंपनी मुनाफा कमा रही, हमारी जिंदगी बर्बाद"
अभय प्रताप सिंह, निलेश प्रताप सिंह, विनोद देवांगन, यशवंत श्रीवास्तव, जयंत श्रीवास्तव और विजय श्रीवास्तव सहित कई किसानों ने हाइड्रो पावर कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि परियोजना के निर्माण के दौरान जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं की गई। संकरे पुलिया और अवैज्ञानिक डायवर्जन मार्ग ने बरसाती पानी को खेतों में ठहरने पर मजबूर किया। किसानों ने तल्ख लहजे में कहा, "कंपनी बिजली बेचकर लाखों-करोड़ों कमा रही है, लेकिन उसकी कीमत हमें अपनी जमीन, फसल और आजीविका गंवाकर चुकानी पड़ रही है।" गुस्साए किसानों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द मुआवजा और स्थायी समाधान नहीं किया गया, तो वे सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे।
प्रशासन और कंपनी पर दबाव, क्या होगा समाधान....?
एसडीएम सागर सिंह ने किसानों को आश्वासन दिया कि जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। हालांकि, हाइड्रो पावर कंपनी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान या जवाब नहीं आया है, जिससे किसानों का गुस्सा और बढ़ रहा है। क्षेत्र में तनाव का माहौल है और किसानों की एकजुटता को देखते हुए यह मामला और गरमा सकता है।