हाइड्रो पावर प्लांट की बेपरवाही फिर आई सामने, जलमग्न खेतों में डूबी किसानों की उम्मीदें, रास्ता भी ठप
सूरजपुर। जिले के भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ग्राम पासल में हाइड्रो पावर प्लांट की वजह से किसानों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। बिजली उत्पादन के लिए नदी का पानी रोकने से करीब 15-20 एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है, जिससे धान की रोपाई और बुआई का काम पूरी तरह ठप हो गया है। जलभराव ने न केवल किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया, बल्कि भैयाथान से पासल जाने वाला मुख्य मार्ग भी अवरुद्ध कर दिया है। ग्रामीण अब वैकल्पिक रास्तों पर निर्भर हैं, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। बहरहाल क्या प्रशासन और हाइड्रो पावर प्लांट प्रबंधन इन किसानों की पुकार सुनेगा, या फिर उनकी मेहनत और सपने पानी में बह जाएंगे...? यह सवाल अब प्रभावित क्षेत्र के हर किसान के मन में कौंध रहा है।
जलमग्न खेत, बर्बाद फसलें: हाइड्रो पावर प्लांट, पासल द्वारा इस मानसून में नदी का पानी रोकने के बाद हालात बद से बदतर हो गए। कई किसानों ने खेतों में धान का थरहा रोपाई के लिए तैयार किया था, तो कुछ ने बुआई भी शुरू कर दी थी। लेकिन अचानक हुए जलभराव ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। किसान विजय श्रीवास्तव ने दुखी मन से बताया, "मेरे 2-3 एकड़ खेत में पानी भर गया है। धान की रोपाई अब असंभव है। अगर बारिश और तेज हुई, तो नुकसान और बढ़ेगा।" कृषि, जो इन किसानों की आजीविका का एकमात्र साधन है, अब संकट में है।
नाले का निर्माण, फिर भी बेकार: स्थानीय सूत्रों की मानें तो हाइड्रो पावर प्लांट ने जलभराव की समस्या से निपटने के लिए नदी के किनारे एक नया नाला बनवाया था, ताकि पानी की निकासी हो सके। लेकिन नाले की डिजाइन और धीमी गति से पानी का बहाव इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया। नतीजा, खेतों में पानी जमा हो गया और पासल मार्ग भी बंद हो गया। प्रभावित किसानों में यशवंत श्रीवास्तव, जयंत श्रीवास्तव, सुधीर श्रीवास्तव, नीलेश प्रताप सिंह, सुरेश सिंह, सुनील सिंह, हीरालाल सिंह, शिवनारायण तिवारी, रामकिशुन कुशवाहा, मिथलेश कुशवाहा, विनोद देवांगन और ओमप्रकाश गुप्ता जैसे दर्जनों नाम शामिल हैं, जिनके खेत पानी में डूब चुके हैं।
प्रभावित किसानों की गुहार: स्थानीय किसानों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं की गई, तो नुकसान और बढ़ेगा। किसानों ने हाइड्रो पावर प्लांट की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं और मुआवजे की मांग की है।
प्रशासन व प्रबंधन की चुप्पी: इस गंभीर समस्या के बावजूद स्थानीय प्रशासन और हाइड्रो पावर प्लांट प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। किसानों का कहना है कि जब तक मामला समाचारों कि सुर्खियों में या सोशल मिडिया पर वायरल नहीं होता,तब तक उनकी सुनवाई नहीं होती।