सुशासन तिहार के दावों पर पानी फेरते राजस्व कर्मचारी , पटवारी-आरआई की अनदेखी से परेशान रहवासी, तहसीलदार की चुप्पी पर सवाल

सुशासन तिहार के दावों पर पानी फेरते राजस्व कर्मचारी , पटवारी-आरआई की अनदेखी से परेशान रहवासी, तहसीलदार की चुप्पी पर सवाल

सूरजपुर/रामानुजनगर। प्रदेश में जहां एक ओर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सुशासन तिहार के जरिए आम जनता की समस्याओं के समाधान के लिए जगह-जगह शिविर लगाए जा रहे हैं, वहीं रामानुजनगर विकासखंड में राजस्व विभाग की मनमानी और लापरवाही सुशासन के दावों पर सवाल खड़े कर रही है। हाल ही में ग्राम पटना में मुख्यमंत्री के समक्ष राजस्व विभाग ने दावा किया था कि क्षेत्र में जनता से संबंधित कोई शिकायत बाकी नहीं है। लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। तहसीलदार के आदेशों की अवहेलना, राजस्व निरीक्षक (आरआई) और पटवारी की अनुपस्थिति और मनमानी कार्यशैली ने रामानुजनगर की जनता को परेशानी के भंवर में डाल दिया है। कुलमिलाकर रामानुजनगर में राजस्व विभाग की मनमानी और लापरवाही ने सुशासन तिहार के उद्देश्यों पर पानी फेर दिया है। यदि सरकार को अपने सुशासन के वादे को पूरा करना है, जमीनी हकीकत को समझकर तत्काल कदम उठाने होंगे। जनता अब केवल वादों नहीं, बल्कि ठोस परिणामों की उम्मीद कर रही है।

तहसीलदार के आदेश का नहीं हो रहा पालन

उक्ताशय पर एक उदाहरण सामने आया है जिसमें बीते 5 मई को रामानुजनगर तहसीलदार ने आदेश क्रमांक 2073 जारी कर राजस्व निरीक्षक मानस राज कन्हैया और पटवारी को एक किसान की निजी भूमि का सीमांकन एक सप्ताह के भीतर कर प्रतिवेदन जमा करने का निर्देश दिया था। लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी न तो सीमांकन हुआ और न ही कोई प्रतिवेदन तहसील कार्यालय में जमा किया गया। इस लापरवाही का खामियाजा उस किसान को भुगतना पड़ रहा है, जो अपनी जमीन के सीमांकन के लिए बार-बार अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। 

पटवारी-आरआई की मनमानी, मुख्यालय में गायब  

सूत्रों की मानें तो यहां पदस्थ कई राजस्व निरीक्षक और पटवारी क्षेत्र में अपनी ड्यूटी के प्रति पूरी तरह उदासीन रवैया बहाने की बैसाखी से चला रहे हैं। वर्तमान में जिन दो कर्मीयों पर आरोप लग रहे हैं वह भी अधिकांश समय अपने मुख्यालय में मौजूद ही नहीं रहते। प्रभावित द्वारा फोन के जरिए संपर्क करने पर पटवारी ने कहा जब आरआई जाएंगे, तभी जमीन नापने जाएंगे। वहीं, आरआई ने तो फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझा। क्षेत्र की जनता का कहना है कि मानस राज कन्हैया की कार्यशैली हमेशा से मनमानी रही है। उनके द्वारा न तो कोई काम समय पर पूरा किया जाता है और न ही जनता की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाता है। 

तहसीलदार की चुप्पी पर उठ रहे सवाल  

सवाल यह है कि जब तहसीलदार के स्पष्ट आदेश का पालन उनके ही अधीनस्थ कर्मचारी नहीं कर रहे, तो तहसीलदार इस मामले में चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? क्या रामानुजनगर तहसीलदार का अपने कर्मचारियों पर नियंत्रण कमजोर पड़ गया है? क्षेत्र के लोग यह भी पूछ रहे हैं कि यदि तहसीलदार के आदेशों की ऐसी अनदेखी हो रही है, तो आम जनता की समस्याओं का समाधान कैसे संभव होगा....? 

जनता की परेशानी का सबब बना राजस्व विभाग 

रामानुजनगर विकासखंड में राजस्व विभाग की लचर कार्यप्रणाली से किसान और आम जनता त्रस्त है। जमीन सीमांकन, नामांतरण, और अन्य राजस्व संबंधी कार्यों में देरी और अधिकारियों की अनुपस्थिति ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। क्षेत्र के निवासी रमेश साहू ने बताया, "हमारी छोटी-छोटी समस्याओं के लिए महीनों चक्कर काटने पड़ते हैं। अधिकारी न तो समय पर मिलते हैं और न ही काम पूरा करते हैं।" 

सुशासन तिहार के दावों पर सवाल  

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सुशासन तिहार के तहत अधिकारियों को जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान करने के सख्त निर्देश दिए हैं। लेकिन रामानुजनगर में राजस्व विभाग की यह स्थिति सरकार के दावों की पोल खोल रही है। हाल ही में जांजगीर-चांपा, सक्ती और कोरबा जिले की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जनहित के कार्यों में लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। ऐसे में रामानुजनगर के राजस्व विभाग की इस लापरवाही पर क्या कार्रवाई होगी, यह देखना बाकी है। 

जनता की मांग: सख्त कार्रवाई और त्वरित समाधान

क्षेत्र की जनता अब मांग कर रही है कि राजस्व निरीक्षक और पटवारी जैसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही तहसीलदार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके आदेशों का पालन समय पर हो। जनता का कहना है कि सुशासन तिहार का असली लाभ तभी मिलेगा, जब जमीनी स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही तय हो और उनकी समस्याओं का त्वरित निराकरण हो।