सूरजपुर में शिक्षक युक्तियुक्तकरण: शिक्षा में क्रांति या भ्रष्टाचार का नया अध्याय.....?

सूरजपुर में शिक्षक युक्तियुक्तकरण: शिक्षा में क्रांति या भ्रष्टाचार का नया अध्याय.....?
सूरजपुर में शिक्षक युक्तियुक्तकरण: शिक्षा में क्रांति या भ्रष्टाचार का नया अध्याय.....?

सूरजपुर, 11 जून 2025 । जिले में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को जिला प्रशासन ने शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर बताया है। दावा है कि इस पहल से जिले की सभी शालाएं शिक्षकयुक्त हो गई हैं, जिससे बच्चों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मार्ग प्रशस्त हुआ है। लेकिन शिक्षक संगठनों ने इस प्रक्रिया को सुनियोजित भ्रष्टाचार करार देते हुए पारदर्शिता की कमी, पक्षपात और भाई-भतीजावाद के गंभीर आरोप लगाए हैं। क्या यह कदम वाकई शिक्षा में क्रांति लाएगा, या विवादों की आग में घी डालने का काम करेगा?

जिला प्रशासन का दावा: शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार

जिला प्रशासन की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, युक्तियुक्तकरण से पहले जिले की 18 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन थीं, जो अब पूरी तरह शिक्षकयुक्त हैं। 281 एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाओं की संख्या घटकर मात्र 47 रह गई है। दो शिक्षकविहीन हाई स्कूलों में भी शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं, और सभी पूर्व माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की पूर्ण उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। साथ ही साथ 1 से 3 जून 2025 तक विश्रामपुर के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित ओपन काउंसलिंग के जरिए सैकड़ों अतिशेष शिक्षकों की नवीन पदस्थापना की गई। इस कदम से न केवल शिक्षकविहीन स्कूलों की समस्या हल हुई, बल्कि ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। यह पहल जिले के शिक्षा परिदृश्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

शिक्षक संगठनों का हंगामा: पारदर्शिता की हत्या

प्रशासन के दावों के विपरीत, शिक्षक साझा मंच, सूरजपुर ने युक्तियुक्तकरण को पारदर्शिता की हत्या और सुनियोजित भ्रष्टाचार का पर्याय बताया है। जिला संचालक यादवेंद्र दुबे ने तीखा हमला बोलते हुए कहा, 47 स्कूल अभी भी एकल शिक्षकीय हैं, फिर अतिशेष शिक्षकों का समायोजन किस आधार पर? ओपन काउंसलिंग में न तो वरिष्ठता सूची प्रकाशित हुई, न रिक्त पदों की जानकारी दी गई। यह प्रक्रिया पूरी तरह पक्षपातपूर्ण थी, जिसमें सिस्टम के चहेतों ने अपने लोगों को लाभ पहुंचाया।उन्होंने काउंसलिंग के बाद सैकड़ों शिकायतों और कोर्ट में दायर याचिकाओं का हवाला देते हुए कहा, प्रशासन वही कातिल है, वही मुंसिफ। यह शिक्षक समाज और शिक्षा व्यवस्था के साथ विश्वासघात है। वहीं दूसरी तरफ शिक्षक साझा मंच के जिला संचालक सचिन त्रिपाठी ने वरिष्ठता सूची की खामियों को उजागर करते हुए कहा, 50 प्रतिशत शिक्षकों का वरिष्ठता क्रमांक ही दर्ज नहीं। जिनका दर्ज है, वह गलत क्रम में है। ऐसे में वरिष्ठतानुसार काउंसलिंग का दावा सरासर झूठ है। यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।

मांग: प्रक्रिया रद्द, दोषियों पर कठोर कार्रवाई

शिक्षक संगठनों ने युक्तियुक्तकरण की पूरी प्रक्रिया को रद्द करने और राज्य शासन की गाइडलाइन के अनुसार पारदर्शी तरीके से दोबारा आयोजित करने की मांग की है। श्री त्रिपाठी ने जोर देकर कहा, हम युक्तियुक्तकरण के खिलाफ नहीं, लेकिन भ्रष्टाचारियों को संरक्षण बर्दाश्त नहीं। दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां न हों संगठन ने चेतावनी दी है कि शिकायतों का समाधान न हुआ तो आंदोलन और तेज होगा।

सच क्या, झूठ क्या.....?

जिला प्रशासन के सामने अब साख बचाने की चुनौती है। क्या वह शिक्षक संगठनों के सवालों का जवाब दे पाएगा...? क्या यह प्रक्रिया वाकई शिक्षा में क्रांति लाएगी, या भ्रष्टाचार के आरोपों में दम तोड़ देगी...? बड़ी संख्या में शिकायतें और कोर्ट की ओर रुख करते शिक्षक इसकी गंभीरता को दर्शाते हैं। इसके साथ ही सूरजपुर की जनता और शिक्षक समाज की निगाहें अब प्रशासन पर टिकी हैं। यह कदम शिक्षा के सुनहरे भविष्य का प्रतीक बनेगा, या विवादों की भेंट चढ़ेगा, यह तो वक्त और जांच ही बताएंगे।