आमगांव खदान में कोल स्टॉक की आग बेकाबू, एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही से पर्यावरण-स्वास्थ्य पर संकट

आमगांव खदान में कोल स्टॉक की आग बेकाबू, एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही से पर्यावरण-स्वास्थ्य पर संकट

लंबे अरसे से सुलग रही कोयले की आग, धुएं से बस्तियां बेहाल, प्रबंधन की चुप्पी पर सवाल

सूरजपुर/बिश्रामपुर । दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के बिश्रामपुर क्षेत्र अंतर्गत आमगांव खदान इन दिनों आग की लपटों में घिरी हुई है। खदान के तीनों कोल स्टॉक में लंबे अरसे से धधक रही आग ने न केवल प्रबंधन की नाकामी को उजागर किया है, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय बस्तियों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। आग की चपेट में आए कोयले से उठ रहा जहरीला धुआं आसपास के गांवों में सांस लेना दूभर कर रहा है, जबकि श्रमिकों और ग्रामीणों में भय का माहौल है। उक्ताशय पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आमगांव खदान के कोल स्टॉक में रखा लाखों टन कोयला पिछले कई हफ्तों से सुलग रहा है। शुरुआत में छोटी-सी चिंगारी के रूप में शुरू हुई यह आग अब बेकाबू हो चुकी है। कोल स्टॉक से निकलने वाली गर्म हवा, धुआं और जलते कोयले की तीखी गंध ने पूरे खदान परिसर को असहनीय बना दिया है। स्थानीय श्रमिकों और ग्रामीणों ने कई बार प्रबंधन को इसकी सूचना दी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नतीजतन, आग ने विकराल रूप ले लिया और अब यह करोड़ों रुपये की कोयला संपत्ति को नष्ट करने के साथ-साथ पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचा रही है। कुलमिलाकर आमगांव खदान की यह आग न केवल एसईसीएल प्रबंधन की कार्यक्षमता पर सवाल उठा रही है, बल्कि यह भी चेतावनी दे रही है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और भयावह हो सकती है। ग्रामीणों और श्रमिकों ने प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। सवाल यह है कि आखिर कब तक यह लापरवाही की चिंगारी सुलगती रहेगी और कब तक प्रबंधन की नाकामी आम लोगों को परेशान करेगी...?

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर दोहरा संकट

आग से उठ रहे जहरीले धुएं ने आमगांव और आसपास के गांवों की हवा को प्रदूषित कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोयले में लगी आग से निकलने वाला धुआं कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसों से युक्त होता है, जो सांस संबंधी बीमारियों, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और आंखों में जलन का कारण बनता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बच्चे और बुजुर्ग विशेष रूप से इस धुएं से प्रभावित हो रहे हैं। 

प्रबंधन की लापरवाही पर सवाल

एसईसीएल प्रबंधन की चुप्पी और निष्क्रियता ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। एक ओर जहां कोयले की आग से आर्थिक नुकसान हो रहा है, वहीं कर्मचारियों की सुरक्षा और आसपास के निवासियों का स्वास्थ्य खतरे में है। प्रबंधन के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आग कोयले में अंदरूनी हीटिंग (स्वतः प्रज्वलन) के कारण लगी है और इसे बुझाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि ये प्रयास केवल कागजी हैं। आग बुझाने के लिए न तो पर्याप्त संसाधन लगाए गए हैं और न ही कोई प्रभावी रणनीति बनाई गई है।वहीं दूसरी तरफ स्थानीय जानकारों की मानें तो कोल स्टॉक में आग लगने का प्रमुख कारण अनुचित भंडारण और रखरखाव की कमी है। कोयले को खुले में लंबे समय तक रखने और उसकी नियमित निगरानी न करने से स्वतः प्रज्वलन की स्थिति बनती है। उन्होंने सुझाव दिया कि आग पर काबू पाने के लिए कोल स्टॉक को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटना, पानी का छिड़काव और मिट्टी की परत चढ़ाना जैसे कदम तत्काल उठाए जाने चाहिए।