एनएसयूआई का हल्ला बोल: भाजपा सरकार पर शिक्षा व्यवस्था के साथ अन्याय का आरोप, स्कूल बंद करने के फैसले पर भारी विरोध

एनएसयूआई का हल्ला बोल: भाजपा सरकार पर शिक्षा व्यवस्था के साथ अन्याय का आरोप, स्कूल बंद करने के फैसले पर भारी विरोध

सूरजपुर, 31 मई 2025। भाजपा सरकार की शिक्षा नीतियों के खिलाफ एनएसयूआई ने सूरजपुर में जोरदार विरोध जताया है। एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष आकाश साहू के नेतृत्व में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में सरकार के हालिया फैसले, जिसमें 10,463 सरकारी स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया है, को शिक्षा व्यवस्था पर "सीधा हमला" करार दिया गया। इस फैसले से करीब 35,000 शिक्षकों के पद समाप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, जिसे एनएसयूआई ने "घटिया और अन्यायपूर्ण" बताया। कुलमिलाकर एनएसयूआई का यह विरोध प्रदर्शन छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बढ़ते असंतोष को दर्शाता है। स्कूलों को बंद करने और शिक्षकों की भर्ती में देरी जैसे मुद्दे न केवल शिक्षा क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के भविष्य पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। क्या सरकार इन सवालों का जवाब देगी, या एनएसयूआई का आंदोलन और तेज होगा..? यह आने वाले दिनों में साफ होगा..?

"शिक्षा के अधिकार पर कुठाराघात"  

आकाश साहू ने पत्रकार वार्ता में कहा कि यह निर्णय ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के गरीब, आदिवासी और दूरस्थ इलाकों में रहने वाले बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकार (RTE) का उल्लंघन है। उन्होंने केंद्र सरकार की "मोदी की गारंटी" के तहत 57,000 शिक्षकों की भर्ती की घोषणा पर सवाल उठाते हुए कहा, "जब स्कूल ही बंद हो जाएंगे, तो भर्ती का क्या मतलब?" साहू ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार 2008 के सेटअप के साथ छेड़छाड़ कर रही है, जो युवाओं के साथ विश्वासघात है।

CGSET परिणाम में देरी पर नाराजगी 

एनएसयूआई ने छत्तीसगढ़ स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट के परिणाम में देरी को लेकर भी सरकार को घेरा। साहू ने बताया कि एक वर्ष बीत जाने के बावजूद परिणाम जारी नहीं हुए, जिससे हजारों छात्र मानसिक और आर्थिक तनाव में हैं। उन्होंने मांग की कि परिणाम जल्द और पारदर्शी तरीके से घोषित किए जाएं।

आत्मानंद स्कूलों पर बिजली बिल का संकट  

आकाश साहू ने आत्मानंद विद्यालयों में बिजली बिल के भुगतान को लेकर बिजली विभाग द्वारा जारी नोटिस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "विद्यालय देश की रीढ़ हैं, जहां लाखों-करोड़ों बच्चे पढ़ते हैं। अगर बिजली काट दी जाएगी, तो बच्चे कैसे पढ़ेंगे?" NSUI ने सरकार से आत्मानंद स्कूलों के लिए तत्काल फंड जारी करने की मांग की।

RTE का उल्लंघन और संवैधानिक मूल्यों पर प्रहार

एनएसयूआई ने राइट टू एजुकेशन (RTE) एक्ट की धारा 3, 4 और 6 का हवाला देते हुए कहा कि यह कानून 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है। स्कूलों को बंद करना न केवल बच्चों और शिक्षकों के साथ अन्याय है, बल्कि यह संवैधानिक और कानूनी उल्लंघन भी है। साहू ने सवाल उठाया, "क्या स्कूल बंद करना संविधान की भावना और बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है...?"

आंदोलन की चेतावनी 

एनएसयूआई ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अपने फैसले वापस नहीं लिए और बच्चों-शिक्षकों के हितों की रक्षा नहीं की, तो आने वाले दिनों में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा। साहू ने कहा, "BJP सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। हम सड़कों पर उतरकर बच्चों और शिक्षकों के हक के लिए लड़ेंगे।"

पत्रकार वार्ता में ये रहे मौजूद 

पत्रकार वार्ता में एनएसयूआई जिला अध्यक्ष आकाश साहू के साथ प्रदेश सचिव राजेश साहू, ब्लॉक अध्यक्ष अमन रवि, रेहान, नुमान अली, वारिश और अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।