तहसीलदार-नायब तहसीलदारों की हड़ताल,17 सूत्रीय मांगों को लेकर संभागीय धरना, राजस्व कार्य ठप
अम्बिकापुर, 29 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले सरगुजा संभाग के तहसीलदार और नायब तहसीलदार अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर तीन दिवसीय हड़ताल पर डटे हैं। हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को शहर के कला केंद्र मैदान में संभागीय स्तर पर धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया, जहां अधिकारियों ने शासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हड़ताल के कारण राजस्व, भूमि विवाद, लोक सेवा गारंटी, किसान पंजीयन, चुनाव, जनगणना और कानून व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं।संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि उनकी मांगें लंबे समय से लंबित हैं। पूर्व में शासन द्वारा मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। बुधवार, 30 जुलाई को तहसीलदार और नायब तहसीलदार प्रांतीय स्तर पर धरना देने की तैयारी में हैं। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। बहरहाल प्रमुख मांगों में सभी तहसीलों में स्वीकृत सेटअप की पदस्थापना, तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति, नायब तहसीलदार पद को राजपत्रित करने, ग्रेड पे में सुधार, शासकीय वाहन, निलंबन से बहाली, न्यायालयीन आदेशों पर एफआईआर से छूट, राजस्व न्यायालयों में सुरक्षा, सड़क दुर्घटना में मुआवजा, संघ की मान्यता और विशेषज्ञ कमिटी का गठन सहित अन्य मांग शामिल हैं। बहरहाल संघ ने स्पष्ट किया कि बुधवार को होने वाला प्रांतीय धरना आंदोलन का अगला चरण होगा। यदि इसके बाद भी मांगें अनसुनी रहीं, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल सहित बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है। हड़ताल के चलते प्रशासनिक व्यवस्था पर पड़ रहे व्यापक असर को देखते हुए शासन की ओर से जल्द कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है।
प्रशासनिक कार्यों पर गहरा असर
हड़ताल के कारण तहसील कार्यालयों में ताले लटक गए हैं। भूमि विवादों के निपटारे, किसान पंजीयन, लोक सेवा गारंटी के तहत सेवाएं और अन्य राजस्व कार्य पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और आम नागरिकों के कार्य अटक गए हैं, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ रही है।
संघ की दों टूक मांग जायज
छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारियों ने कहा, "हमारी मांगें जायज हैं। शासन ने बार-बार आश्वासन दिए, लेकिन कोई अमल नहीं हुआ। अब हम निर्णायक आंदोलन के लिए मजबूर हैं।" उन्होंने शासन से तत्काल वार्ता कर मांगें पूरी करने की अपील की है।