नीलगिरी की कटाई में मजदूर की मौत: पेड़ की टहनी गिरने से सीने में लगी चोट, रास्ते में तोड़ा दम

छत्तीसगढ़ की ज़मीन पर रोज़ी कमाने आया मज़दूर हमेशा के लिए खामोश हो गया, अवैध कटाई पर प्रशासन मौन
सवाल उठते हैं – क्या इंसानी जान से ज़्यादा कीमती हो गई लकड़ी...?
सूरजपुर 21 अप्रैल 2025।"घर से दूर सिर्फ दो वक्त की रोटी की तलाश में निकला था... पर क्या पता था कि अब कभी घर लौट ही नहीं पाएगा।"
दरअसल उक्त घटना उत्तर प्रदेश से रोज़गार की तलाश में छत्तीसगढ़ आए मजदूर मोहम्मद जुल्फेकार (35 वर्ष) की नीलगिरी की कटाई के दौरान दर्दनाक मौत हो गई। मशीन से पेड़ की कटाई हो रही थी, तभी अचानक एक भारी टहनी टूटकर उसके सीने पर गिर गई।साथियों ने तुरंत भैयाथान अस्पताल पहुंचाया, वहां से सूरजपुर रेफर किया गया, लेकिन जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में उसकी सांसें थम गईं।
नियमों की अनदेखी, जान की परवाह नहीं
पिछले छह महीनों से उत्तर प्रदेश से आए व्यापारियों द्वारा सूरजपुर व आसपास के जिलों में नीलगिरी, सेमर, कदम जैसे पेड़ों की खुलेआम कटाई की जा रही है। न तो श्रमिकों की सुरक्षा का कोई इंतज़ाम होता है, न ही पेड़ों की कटाई के कोई ठोस नियम लागू किए जा रहे हैं।
अवैध कटाई का बढ़ता जाल, राजनीतिक संरक्षण के आरोप
सूत्र बताते हैं कि इन कटाई कार्यों को स्थानीय स्तर पर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। यही वजह है कि वन विभाग और जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
विकास की आड़ में जंगल उजड़ रहे हैं, और इंसान की जान सस्ती होती जा रही है।
सिर्फ पेड़ नहीं कट रहे, इंसानियत भी घायल है
यह सिर्फ एक मजदूर की मौत नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता की कहानी है।जुल्फेकार जैसे सैकड़ों मज़दूर देश के कोने-कोने से रोज़गार के लिए अपने घरों से दूर आते हैं, ताकि अपने परिवार को दो वक्त की रोटी दे सकें। लेकिन जब ज़िंदगी की कीमत ‘लकड़ी’ से भी कम आंकी जाने लगे, तब यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, सामाजिक चेतना का पतन भी है।
जनचर्चा में शामिल......?
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि क्षेत्र में पेड़ कटाई के नाम पर जो हो रहा है, वह केवल पर्यावरण की तबाही नहीं है, यह श्रमिकों की ज़िंदगियों के साथ खिलवाड़ है।
"आज जुल्फेकार गया है, कल कोई और जाएगा। आखिर कब तक?" – ये सवाल गांव के हर बुज़ुर्ग और नौजवान की जुबान पर है।
मांगें तेज, कार्रवाई का इंतजार
ग्रामीणों ने मांग की है कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, मृतक के परिजनों को समुचित मुआवज़ा दिया जाए, और अवैध कटाई पर सख्ती से रोक लगाई जाए।