शिक्षा विभाग की साख दांव पर: डीईओ की धांधली से शिक्षक आक्रोशित, मंत्री से लगाई न्याय की गुहार तो दिया जांच का आश्वासन
सूरजपुर । जिले में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है। जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) श्रीमती भारती वर्मा पर डबल पोस्टिंग, टेलीफोनिक काउंसलिंग के जरिए दबाव, और शिक्षकों के साथ अमर्यादित व्यवहार जैसे संगीन आरोप लगाते हुए शिक्षक साझा मंच ने विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि इन गड़बड़ियों से त्रस्त होकर शिक्षक साझा मंच ने महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े से मुलाकात कर इस धांधली पर रोक लगाने और निष्पक्ष जांच की मांग की है। जिसपर मंत्री श्रीमती राजवाड़े ने मौके पर ही जिला कलेक्टर एस. जयवर्धन को तत्काल जांच शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जांच केवल शिक्षा विभाग या युक्तियुक्तकरण समिति तक सीमित नहीं होगी, बल्कि अन्य विभागीय अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा ताकि निष्पक्षता बनी रहे और दोषियों को बचने का कोई मौका न मिले। कुलमिलाकर यह मामला अब केवल शिक्षा विभाग तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता का सवाल बन चुका है।
युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी का सिलसिला
शिक्षक साझा मंच के जिला संचालक यादवेन्द्र दुबे, सचिन त्रिपाठी, विजय साहू, राकेश शुक्ल, गौतम शर्मा, राजकुमार सिंह, कृष्णा सोनी और राधेश्याम साहू ने संयुक्त रूप से जारी विज्ञप्ति में बताया कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू से ही विवादों में रही। अतिशेष चिन्हांकन से लेकर पदस्थापना तक में पारदर्शिता का अभाव और नियमों की अनदेखी साफ दिखाई दी। काउंसलिंग के दौरान सैकड़ों सहायक शिक्षकों, शिक्षकों और व्याख्याताओं को ऐसी संस्थाओं में पद आबंटित किए गए, जो पहले से ही भरे हुए थे। जब ये शिक्षक अपनी पुरानी संस्था से कार्यमुक्त होकर नई संस्था में जॉइन करने पहुंचे, तो संस्था प्रमुखों ने यह कहकर कार्यभार ग्रहण करने से मना कर दिया कि उनके पास पहले से ही पर्याप्त शिक्षक मौजूद हैं। इस डबल पोस्टिंग की गलती ने शिक्षकों को न घर का छोड़ा, न घाट का। प्रभावित शिक्षक पिछले 20 दिनों से बीईओ और डीईओ कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकला। शिक्षकों का कहना है कि यह गलती पूरी तरह से जिला शिक्षा अधिकारी की लापरवाही और मनमाने रवैये का परिणाम है।
टेलीफोनिक काउंसलिंग ने बढ़ाया विवाद
हद तो तब हो गई, जब डीईओ कार्यालय ने डबल पोस्टिंग वाले आदेश को निरस्त कर एक अस्पष्ट आदेश जारी किया, जिसमें रिक्त पद होने पर पुनः पदस्थापना की बात कही गई। लेकिन इस आदेश के महज दो दिन बाद ही रात के समय डीईओ कार्यालय ने व्याख्याताओं को व्यक्तिगत कॉल कर टेलीफोनिक काउंसलिंग शुरू कर दी। शिक्षकों को दूरस्थ अंचलों के तीन स्कूलों के नाम बताकर तत्काल पद चयन करने का दबाव बनाया गया। इस असामान्य और गैर-पारदर्शी प्रक्रिया से शिक्षक सकते में आ गए और उन्होंने फोन पर पद चयन करने से साफ इनकार कर दिया। शिक्षक साझा मंच ने सवाल उठाया कि जब प्रथम काउंसलिंग के बाद जिले में हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में रिक्त पद नहीं बचे थे, तो अब टेलीफोनिक काउंसलिंग के लिए रिक्त पद कहां से आ गए..? इस प्रक्रिया ने उन व्याख्याताओं के साथ घोर अन्याय किया, जो पदों की कमी के कारण संभाग के अन्य जिलों के दूरस्थ क्षेत्रों में पदस्थ करने की नौबत आन पड़ी है।
मंत्री से मुलाकात, जांच के निर्देश
शाला प्रवेश उत्सव के जिला स्तरीय कार्यक्रम में पहुंची मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े से सैकड़ों शिक्षकों के साथ साझा मंच के पदाधिकारियों ने मुलाकात की। उन्होंने डीईओ पर कार्यालय के बाबुओं के साथ मिलकर गैर-कानूनी तरीके से टेलीफोनिक काउंसलिंग के जरिए शिक्षकों पर दबाव बनाने का आरोप लगाया। इसके अलावा, डीईओ के आमजनों और शिक्षकों के साथ अशिष्ट और अमर्यादित व्यवहार की शिकायत भी की गई। शिक्षकों ने डबल पोस्टिंग को डीईओ की गलती बताते हुए कहा कि इसकी सजा बेगुनाह शिक्षकों को क्यों भुगतनी पड़ रही है...? उन्होंने कार्यमुक्ति से लेकर अब तक की अवधि के वेतन भुगतान की समस्या का समाधान करने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की।
मंत्री श्रीमती राजवाड़े ने इन शिकायतों को गंभीरता से लिया और मौके पर मौजूद जिला कलेक्टर एस. जयवर्धन को तत्काल जांच शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जांच केवल शिक्षा विभाग या युक्तियुक्तकरण समिति तक सीमित नहीं होगी, बल्कि अन्य विभागीय अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा ताकि निष्पक्षता बनी रहे और दोषियों को बचने का कोई मौका न मिले।
शिक्षकों में आक्रोश, विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
शिक्षक साझा मंच ने डीईओ के रवैये पर कड़ा ऐतराज जताया और कहा कि इस तरह की मनमानी और गड़बड़ियां न केवल शिक्षकों का मनोबल तोड़ रही हैं, बल्कि शिक्षा विभाग की साख को भी गहरी चोट पहुंचा रही हैं। शिक्षकों ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
शिक्षा व्यवस्था पर मंडराता संकट
यह प्रकरण सूरजपुर जिले में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को उजागर करता है। युक्तियुक्तकरण जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया में इस तरह की धांधली और लापरवाही ने न केवल शिक्षकों का भरोसा तोड़ा है, बल्कि जिले में शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े किए हैं। अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन की जांच पर टिकी हैं, जिसमें यह तय होगा कि क्या शिक्षकों को न्याय मिलेगा या यह मामला भी प्रशासनिक फाइलों में दबकर रह जाएगा।
शिक्षक साझा मंच की मांग
- युक्तियुक्तकरण की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से पुनः कराने की मांग।
- डबल पोस्टिंग की गलती के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई।
- प्रभावित शिक्षकों के वेतन भुगतान और कार्यमुक्ति की समस्या का तत्काल समाधान।
- डीईओ श्रीमती भारती वर्मा के अमर्यादित व्यवहार की जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई।