विष्णु सरकार का सुशासन बच्चों की मुस्कान तक पहुंचा: आंगनबाड़ी में मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने दिखाई संवेदनशीलता और सख्ती....
धमतरी-कांकेर में औचक निरीक्षण, बच्चों संग बैठकर बांटी चॉकलेट, लापरवाही पर दी चेतावनी
रायपुर 25 अप्रैल 2025 ।छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सुशासन केवल कागज़ों तक सीमित नहीं, बल्कि गांव-गांव, घर-घर और खासकर बच्चों की मुस्कान तक पहुंच रहा है। महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने गुरुवार को धमतरी और कांकेर जिलों में आंगनबाड़ी केंद्रों का औचक निरीक्षण कर शासन की संवेदनशीलता और सामाजिक सरोकार का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया।
गांव तेलिनसत्ती के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक-2 में पहुंचकर मंत्री राजवाड़े ने बच्चों के साथ ज़मीन पर बैठकर संवाद किया, उनके नाम पूछे, उन्हें चॉकलेट बांटी और उनकी दिनचर्या के बारे में आत्मीयता से जानकारी ली। उन्होंने सिर्फ योजनाओं की समीक्षा नहीं की, बल्कि बच्चों की आंखों में झांककर यह सुनिश्चित किया कि शासन की योजनाएं सही मायनों में उनके जीवन को छू रही हैं या नहीं।
मंत्री ने स्पष्ट कहा कि बच्चों को सिर्फ पोषण नहीं, स्नेह, सुरक्षा और शिक्षा भी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि बच्चों को समय पर गुणवत्तापूर्ण भोजन मिले, गर्मियों में शुद्ध पेयजल व ओआरएस की व्यवस्था रहे, और केंद्र सुबह 7 से 11 बजे तक खुले रहें। साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे बच्चों को खेल-खेल में व्यवहारिक ज्ञान, स्वच्छता की आदतें और सामाजिक मूल्यों की शिक्षा दें।
कांकेर जिले के दरगाहन गांव में निरीक्षण के दौरान जब कुछ कमियां पाई गईं, तो मंत्री राजवाड़े ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा—"बच्चों की देखभाल में लापरवाही न सिर्फ असंवेदनशीलता है, बल्कि सामाजिक अपराध भी है।"
निरीक्षण के बाद आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होंने योजनाओं की प्रगति की बारीकी से समीक्षा की और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि लाभार्थियों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण के साथ योजनाओं का क्रियान्वयन करें।
महिला एवं बाल विकास संचालक श्री पदुम सिंह एल्मा, समाज कल्याण संचालक श्रीमती रोक्तिमा यादव, परियोजना अधिकारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका सहित बड़ी संख्या में लोग बैठक में उपस्थित रहे।
मंत्री राजवाड़े ने अंत में कहा, “सरकार की प्राथमिकता सिर्फ योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि हर बच्चे और महिला के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है – और यह तभी संभव है जब शासन में संवेदनशीलता और जवाबदेही दोनों साथ चलें।”