शिक्षक युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी का आरोप, सैकड़ों शिक्षकों की रैली, जिला शिक्षा अधिकारी पर कार्रवाई की मांग

शिक्षक युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी का आरोप, सैकड़ों शिक्षकों की रैली, जिला शिक्षा अधिकारी पर कार्रवाई की मांग
शिक्षक युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी का आरोप, सैकड़ों शिक्षकों की रैली, जिला शिक्षा अधिकारी पर कार्रवाई की मांग

सूरजपुर, 10 जून 2025।जिले में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के नाम पर चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली और अनियमितताओं का मामला तूल पकड़ रहा है। मंगलवार को सूरजपुर शहर में शिक्षक साझा मंच के बैनर तले सैकड़ों शिक्षकों ने विशाल रैली निकालकर जिला मुख्यालय पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने कलेक्टर को सौंपे गए विस्तृत ज्ञापन में जिला शिक्षा अधिकारी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए दूषित काउंसलिंग प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। शासन के निर्देशों की खुलेआम अवहेलना और वरिष्ठता सूची में हेरफेर जैसे गंभीर आरोपों ने जिले की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है।कुलमिलाकर शिक्षकों की रैली और मांगों के बाद अब सभी की नजरें जिला प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या प्रशासन इस मामले में त्वरित कार्रवाई करेगा, या यह विवाद और गहराएगा....? यह देखना बाकी है। 

रैली से गूंजा सूरजपुर, शिक्षकों में आक्रोश  

सूरजपुर शहर की सड़कों पर शिक्षकों की रैली ने प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ आक्रोश को साफ तौर पर उजागर किया। नारेबाजी और बैनरों के साथ शिक्षकों ने जिला शिक्षा विभाग के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। रैली में शामिल शिक्षकों ने आरोप लगाया कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। रैली के बाद कलेक्ट्रेट पहुंचकर शिक्षकों ने ज्ञापन सौंपा, जिसमें काउंसलिंग प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों का विस्तृत ब्यौरा दिया गया। 

त्रुटिपूर्ण वरिष्ठता सूची, चहेतों को लाभ 

शिक्षक साझा मंच के अनुसार, काउंसलिंग के लिए जारी वरिष्ठता सूची पूरी तरह त्रुटिपूर्ण थी। बार-बार आपत्तियों के बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी ने इसे सुधारने की कोई कोशिश नहीं की। नतीजतन, कई शिक्षक गलत वरिष्ठता क्रम में आ गए, जिससे उनके हक पर डाका डाला गया। कई स्कूलों में पहले से कार्यरत शिक्षकों के बावजूद पद दिखाए गए, और नए नियुक्त शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण करने से रोक दिया गया। इससे उनकी नौकरी और भविष्य संकट में पड़ गया। 

शिक्षक विहीन स्कूलों की अनदेखी 

शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि केवल रिक्त पदों पर ही पोस्टिंग हो, लेकिन जिला शिक्षा विभाग ने शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय स्कूलों को नजरअंदाज कर अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों को प्राथमिकता दी। नतीजतन, जिले में सैकड़ों स्कूल आज भी बिना शिक्षकों के संचालित हो रहे हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ रहा है। हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में भी अतिशेष शिक्षकों की सूची में हेरफेर कर चहेतों को लाभ पहुंचाने का आरोप है। 

महिला शिक्षिकाओं के साथ अन्याय  

ज्ञापन में यह भी खुलासा हुआ कि महिला शिक्षिकाओं की वरिष्ठता को दरकिनार कर पुरुष शिक्षकों को प्राथमिकता दी गई। इससे कई महिला शिक्षिकाओं को मजबूरी में दूरस्थ क्षेत्रों में जाना पड़ा या उनके लिए कोई पद ही नहीं बचा। सेजस स्कूलों में नियम-विरुद्ध पदस्थापना ने भी शासन के दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाईं। 

ऐतिहासिक स्कूल का समायोजन नियम-विरुद्ध  

शिक्षकों ने 1932 में स्थापित ऐतिहासिक प्राथमिक शाला सलका के समायोजन को नियम-विरुद्ध बताया। शासन के स्पष्ट आदेशों के बावजूद इस स्कूल को समायोजित कर दिया गया, जिसे लेकर शिक्षकों में भारी रोष व्याप्त है। 

उच्चस्तरीय जांच और आंदोलन की चेतावनी  

शिक्षक साझा मंच ने मांग की है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, जिला शिक्षा अधिकारी और दोषी कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई हो, और वर्तमान काउंसलिंग प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए। मंच ने चेतावनी दी है कि यदि 16 जून तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो शाला प्रवेशोत्सव का बहिष्कार और उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा। 

शिक्षकों की एकजुटता 

रैली और ज्ञापन सौंपने के दौरान शिक्षक साझा मंच के जिला संचालक सचिन त्रिपाठी, यादवेंद्र दुबे, भूपेश सिंह, विजय साहू, गोपाल विश्वकर्मा, निर्मल भट्टाचार्य और राजकुमार सिंह,गौतम शर्मा सहित सैकड़ों शिक्षक मौजूद रहे। इस प्रदर्शन ने जिले में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है।