ओड़गी पंचायत में दम तोड़ता नजर आ रहा स्वच्छ भारत मिशन
कचरे के ढेर से गांव की तस्वीर बिगड़ी, मवेशियों की मौत होने की आशंका, बीमारियों का खतरा, ग्रामीणों में आक्रोश
ओड़गी 15 अप्रैल 2025 ।सूरजपुर जिले के ओड़गी विकासखंड मुख्यालय की ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन की हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। सरकारी फाइलों में गांव भले ही स्वच्छ और आदर्श दिखाए जा रहे हों, लेकिन जमीनी सच्चाई बेहद चिंताजनक है।ग्राम पंचायत ओड़गी में कचरे का ढेर जगह-जगह नजर आता है। गांव के मुख्य बाजार, मोहल्लों और सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा-कचरा बेतरतीब फैला हुआ है। इससे जहां एक ओर वातावरण प्रदूषित हो रहा है, वहीं दूसरी ओर मवेशियों की जान पर भी संकट मंडरा रहा है।
कचरा वाहन हुई कंडम, नई व्यवस्था नहीं
कुछ वर्ष पहले पंचायत द्वारा एक कचरा वाहन की व्यवस्था की गई थी, जो पूरे गांव से नियमित रूप से कचरा संग्रह करता था। लेकिन अब वह वाहन कंडम हो चुका है और वर्षों से गैर-चालू स्थिति में पड़ा हुआ है। नए वाहन या वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव में लोग मजबूरन खुले में कचरा फेंक रहे हैं।
खुले में कचरा, मवेशियों की जान पर बन आई
ग्रामीणों ने बताया कि खुले में फेंके गए कचरे में प्लास्टिक और अन्य हानिकारक वस्तुएं होती हैं, जिन्हें खाकर मवेशी गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं ।
बीमारियों का खतरा बढ़ा, डेंगू और मलेरिया की आशंका
गंदगी के चलते मच्छरों और कीड़ों की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ है। स्थानीय रहवासियों ने आशंका जताई है कि यदि जल्द ही सफाई व्यवस्था बहाल नहीं हुई, तो डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाएगा।
पंचायत पर उठे सवाल, ग्रामीणों में आक्रोश
स्थानीय रहवासियों की शिकायत है कि, हमने कई बार पंचायत में इस मुद्दे को उठाया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। सब अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। अब तो हम खुद साफ-सफाई कर रहे हैं, लेकिन कब तक...?
प्रशासन से की मांग
ग्रामीणों ने सूरजपुर जिला प्रशासन से मांग की है किजल्द से जल्द ओड़गी पंचायत में नया कचरा वाहन उपलब्ध कराया जाए,कचरा संग्रहण और निस्तारण की नियमित व्यवस्था शुरू की जाए।ग्रामवासियों को स्वच्छता के लिए जागरूक किया जाए।पंचायत पदाधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।
स्वच्छ भारत मिशन के मूल उद्देश्य पर सवाल
स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य गांव-गांव तक साफ-सफाई और जनस्वास्थ्य की व्यवस्था को बेहतर बनाना था। लेकिन ओड़गी पंचायत जैसे उदाहरणों से स्पष्ट है कि कई स्थानों पर यह योजना सिर्फ कागजों तक सिमटी रह गई है।जब तक जिम्मेदार अधिकारी और पंचायतें अपनी भूमिका को गंभीरता से नहीं निभाएंगी, तब तक स्वच्छ भारत का सपना अधूरा ही रहेगा।
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