फ्री फायर की लत ने निगली किशोर की जिंदगी, पिता की फटकार के बाद कीटनाशक खाकर दी जान
अम्बिकापुर/जशपुर। मोबाइल गेम की लत और छोटे भाई से विवाद ने जशपुर के एक 14 वर्षीय छात्र की जिंदगी छीन ली। पिता की मामूली फटकार से आहत सातवीं कक्षा के छात्र अल्टर लकड़ा ने कीटनाशक पीकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। अम्बिकापुर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान गुरुवार सुबह उसने दम तोड़ दिया। इस घटना से परिजन सदमे में हैं, और इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। उक्ताशय पर सामने आई जानकारी अनुसार जशपुर जिले के ग्राम चंपा, कुरवां निवासी अल्टर लकड़ा (14) मंगलवार को अपने घर में मोबाइल पर लोकप्रिय ऑनलाइन गेम फ्री फायर खेल रहा था। उसी दौरान उसके 8 वर्षीय छोटे भाई ने मोबाइल के लिए जिद की। इस बात को लेकर दोनों भाइयों में तीखी नोकझोंक हो गई। पिता मुक्ति लकड़ा ने हस्तक्षेप करते हुए अल्टर को मोबाइल छोटे भाई को देने को कहा। अल्टर ने अनमने मन से मोबाइल दे दिया, लेकिन वह छोटे भाई से विवाद करता रहा।
फटकार से आहत किशोर ने उठाया खौफनाक कदम
पिता मुक्ति लकड़ा ने अल्टर को मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने और छोटे भाई से झगड़े के लिए डांटा। पिता ने उसे समझाया कि वह घंटों मोबाइल पर गेम खेलता रहता है, जिससे उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। इस फटकार से आहत अल्टर कमरे में चला गया और वहां रखे कीटनाशक का सेवन कर लिया। कुछ ही देर में उसकी हालत बिगड़ने लगी। परिजनों को जब इसकी जानकारी हुई, तो आनन-फानन में उसे अम्बिकापुर के मिशन हॉस्पिटल ले जाया गया। अम्बिकापुर के मिशन हॉस्पिटल में अल्टर को भर्ती किया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने की हरसंभव कोशिश की। लेकिन गुरुवार को इलाज के दौरान उसकी सांसें थम गईं। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है। इस घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
पिता मुक्ति लकड़ा ने बताया कि घर में एक ही मोबाइल फोन है, जिसे लेकर दोनों भाई अक्सर झगड़ते थे। अल्टर फ्री फायर गेम का दीवाना था, जबकि उसका छोटा भाई यूट्यूब वीडियो देखना पसंद करता था। मुक्ति ने कहा, "मैंने उसे सिर्फ समझाने के लिए डांटा था, लेकिन मुझे क्या पता था कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा।" परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, और गांव में इस घटना की चर्चा जोरों पर है।
मोबाइल की लत बना रही है बच्चों को मानसिक रूप से कमजोर
यह घटना मोबाइल गेम्स और सोशल मीडिया की बढ़ती लत की गंभीरता को दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में मोबाइल की लत उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बना रही है, जिससे वे छोटी-छोटी बातों पर अतिसंवेदनशील होकर गलत कदम उठा लेते हैं। इस घटना ने अभिभावकों के लिए भी एक सबक दिया है कि बच्चों के साथ संवाद और उनकी मानसिक स्थिति पर ध्यान देना कितना जरूरी है। इसके साथ ही इस घटना ने न केवल एक परिवार को तोड़ दिया, बल्कि समाज के सामने मोबाइल की लत और बच्चों की मानसिक सेहत जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर किया है।