“बाल विवाह की आग बुझा रही संयुक्त टीमें, लेकिन सवाल अब भी वही — आखिर कब जागेंगे जिम्मेदार....?”

“बाल विवाह की आग बुझा रही संयुक्त टीमें, लेकिन सवाल अब भी वही — आखिर कब जागेंगे जिम्मेदार....?”
“बाल विवाह की आग बुझा रही संयुक्त टीमें, लेकिन सवाल अब भी वही — आखिर कब जागेंगे जिम्मेदार....?”

तीन दिन में 5 बाल विवाह रोके, आंकड़ों में संतोष लेकिन जमीनी सच्चाई पर उठे सवाल

सूरजपुर, 17 अप्रैल 2025।जिले में बाल विवाह के खिलाफ अभियान तेज हो गया है। जिला कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन के निर्देशन पर महिला एवं बाल विकास विभाग सहित विभिन्न विभागों की संयुक्त टीमें सक्रिय हैं। तीन दिनों में कुल 5 बाल विवाह रोकने का दावा किया गया है, जो एक ओर प्रशासन की तत्परता दर्शाता है तो वहीं दूसरी ओर यह भी उजागर करता है कि वर्षों से चल रहे जागरूकता अभियानों के बावजूद बाल विवाह जैसी कुप्रथा जड़ से समाप्त नहीं हो सकी है।जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रमेश साहू एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री मनोज जायसवाल के नेतृत्व में विभिन्न विकासखंडों में कार्यरत टीमों ने त्वरित कार्यवाही कर संभावित बाल विवाहों को रोका गया है।लेकिन सवाल यह उठता है कि जब योजनाएं, जागरूकता रैलियां, कार्यशालाएं और सरकारी धन की बड़ी-बड़ी खर्चीली परियोजनाएं वर्षों से चल रही हैं , तब भी क्यों आज भी गांवों की गलियों में बाल विवाह की रस्में निभाई जा रही हैं.....?

तीन दिनों में पाँच मामले, लेकिन चेतावनी भविष्य के लिए

प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 14 से 16 अप्रैल तक ओड़गी, प्रतापपुर और भैयाथान विकासखंडों में कुल 5 बाल विवाह रोके गए। जिसमें ओड़गी विकासखंड में करीब 3 मामले,प्रतापपुर विकासखंड में 1 मामला और भैयाथान विकासखंड में 1 मामला अबतक सामने आया है। वहीं दूसरी तरफ प्रतापपुर में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया जिसमें 20 वर्षीय बालक का विवाह 27 वर्षीय महिला से कराया जा रहा था। जब टीम पहुंची तो विवाह की सभी तैयारियां लगभग पूर्ण थीं। लेकिन जब जांच में बालक की उम्र विवाह के योग्य नहीं पाई गई, तो टीम ने परिजनों को समझाइश देकर विवाह रुकवाया।

संवेदनशील रातें और साहसी हस्तक्षेप

भैयाथान के सिरसी गांव में रात 9:30 बजे संयुक्त टीम ने हस्तक्षेप कर संभावित बाल विवाह रोका। इससे यह स्पष्ट है कि बाल विवाह की कोशिशें छिप-छिपाकर जारी हैं और इन्हें रोकने के लिए दिन-रात काम कर रही टीमें अक्सर खतरे और असुविधा का सामना करती हैं।

संवेदनशीलता बनाम लापरवाही

यह मानवीय संवेदना ही है जो इन बालिकाओं को समय रहते इस सामाजिक बंधन से बचा रही है। लेकिन वहीं यह सवाल भी उठता है कि क्या विभागीय स्तर पर पहले ही ऐसी कोशिशों को रोका नहीं जा सकता था...? क्या योजनाओं का असर सिर्फ कागज़ों और रिपोर्टों तक ही सीमित है..?

इसके पीछे मुल कारण जिले में जवाबदेह अधिकारीयों के अंतर्गत तमाम अमला व संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित होने के बाद भी इस तरह से लगातार सामने आते मामले जागरूकता अभियान सहित अमलें की पूर्ण जवाबदेह रूप से कार्यशैली निर्वहन नहीं करने की वजह से स्थित में सुधार नहीं आया है केवल सूचना मिलने पर जिन विवाह को रोका गया है ‌।उसकी जानकारी सार्वजनिक तौर पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सक्रियता के दावे कर अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने वाली कवायद बतौर बयां कर रही है।

कलेक्टर ने जारी किया सार्वजनिक अपील 

जिला कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन ने जिले वासियों से विनम्र अपील है कि बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें बाल विवाह से बचाऐं। बालिका के स्वास्थ्य शिक्षा एवं समग्र विकास में यदि कोई बाधा है तो वह बाल विवाह है। जिले को बाल विवाह मुक्त कराने हेतु पुरा प्रशासन लगा है। बाल विवाह होने पर वैद्यानिक कार्यवाही की जायेगी उससे अच्छा है कि हम अपनी बच्चियों के उम्र होने पर अर्थात 18 वर्ष पूर्ण होने पर एवं लड़को का विवाह 21 वर्ष पूर्ण होने पर ही विवाह करें।

इनकी रही सक्रिय भूमिका 

       बाल विवाह रोकवाने वालो में श्री मनोज जायसवाल जिला बाल संरक्षण अधिकारी, श्रीमती ललिता भगत अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रतापपुर, तहसीलदार प्रतापपुर, श्री जागेश्वर साहू परियोजना अधिकारी ओडगी, मो. ईमरान अख्तर परियोजना अधिकारी भैयाथान, श्रीमती संतोषी सिंह प्रभारी परियोजना अधिकारी प्रतापपुर, थाना प्रभारी श्री लक्षमण सिंह प्रतापपुर, पर्यवेक्षक ज्योति राज, शीला वर्मा, सीमा, प्रियांशि सिंघल, विभा साहू, जिला बाल संरक्षण अधिकारी से काउंसलर जैनेन्द्र दुबे, आउट रिच वर्कर पवन धीवर, चाईल्ड लाईन से शीतल सिंह, नंन्दनी खटिक, चौकी बसदेई से प्रधान आरक्षक राम प्रसाद सांडिल्य, शिव कुमार सारथी, आरक्षक अशोक कुमार सिंह, महिला प्रधान आरक्षक अल्का टोप्पो एवं सरपचं बसंत लाल , आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सक्रिय रहे।