Brazil Police: ब्राजील में अब तक का सबसे बड़ा पुलिस ऑपरेशन, रियो डी जेनेरियो में 130 से अधिक लोगों की मौत
दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील (Brazil) की राजधानी रियो डी जेनेरियो में मंगलवार (28 अक्टूबर 2025) को एक बड़ा पुलिस ऑपरेशन चलाया गया. इस अभियान में लगभग 2,500 पुलिसकर्मी शामिल थे. कार्रवाई का मुख्य लक्ष्य था ड्रग गिरोह रेड कमांड (Red Command), जो कई वर्षों से फेवलास यानी झुग्गी बस्तियों में सक्रिय है.
अभियान की शुरुआत सुबह हुई, जब पुलिस ने हेलीकॉप्टर और बख़्तरबंद वाहनों के साथ कई इलाकों में प्रवेश किया. जैसे ही सुरक्षाबलों ने आगे बढ़ना शुरू किया, गैंग के सदस्यों ने पुलिस पर तीव्र फायरिंग की. दोनों पक्षों में घंटों तक मुठभेड़ चलती रही, जिसमें 130 से अधिक लोगों की मौत हुई. मारे गए लोगों में चार पुलिसकर्मी भी शामिल बताए गए हैं.
मुठभेड़ के बाद रियो की सड़कों पर तनाव
घटना के बाद शहर का माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया. कई इलाकों में सड़कों पर शव पड़े रहे और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया. परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने निर्दोष लोगों पर भी गोली चलाई. कई परिवारों ने मृतकों के शवों को सड़कों पर रखकर प्रदर्शन किया और इस कार्रवाई को नरसंहार कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी जवाबदेही
ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना पर खुद संज्ञान लिया है. जस्टिस एलेक्जेंडर डी मोरेस ने राज्य सरकार और पुलिस अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अदालत ने पूछा है कि क्या सभी मृतकों की पहचान की गई है और क्या फॉरेंसिक जांच पूरी हुई है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर बल प्रयोग में नियमों का उल्लंघन हुआ है तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों के लिए गंभीर खतरा है.
मानवाधिकार संगठनों की आलोचना
संयुक्त राष्ट्र (UN) और ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने इस ऑपरेशन को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. दोनों संगठनों का कहना है कि यह कानून के नाम पर सामूहिक सजा जैसी कार्रवाई है. UN के मानवाधिकार आयोग ने बयान में कहा कि इतनी बड़ी संख्या में मौतों की घटना में पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है. स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों ने बताया कि कई शवों पर गोली के अलावा चाकू जैसे घाव मिले हैं, जो संभवतः एक्स्ट्रा-ज्यूडिशियल किलिंग यानी बिना कानूनी प्रक्रिया के हत्या की ओर इशारा करते हैं.
पुलिस का पक्ष नार्को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई
रियो पुलिस ने अपने बयान में कहा कि यह अभियान नारको-आतंकवाद के खिलाफ था. उनके अनुसार, रेड कमांड हाल के महीनों में प्रतिद्वंदी गिरोह थर्ड प्योर कमांड (Third Pure Command - TCP) के इलाकों पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा था, जिससे हिंसा बढ़ गई थी. पुलिस का कहना है कि गिरोह के पास आधुनिक हथियार, ग्रेनेड और ड्रोन मौजूद थे. पुलिस प्रवक्ता के अनुसार हमारा मकसद था कि इन गिरोहों के ठिकाने खत्म किए जाएं ताकि नागरिक इलाकों में सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
रियो की ड्रग वॉर की पुरानी जड़ें
रियो डी जेनेरियो लंबे समय से ड्रग माफिया और पुलिस मुठभेड़ों के लिए बदनाम रहा है. फेवलास में कई अपराध संगठन सक्रिय हैं, जिनमें रेड कमांड सबसे पुराना और प्रभावशाली गिरोह है. यह न सिर्फ नशे के व्यापार को नियंत्रित करता है, बल्कि बिजली, पानी और सुरक्षा जैसी स्थानीय सेवाओं पर भी अपनी पकड़ बनाए हुए है. हर साल इन गैंग युद्धों में सैकड़ों नागरिक मारे जाते हैं. अक्सर पुलिस कार्रवाई इतने हिंसक रूप में बदल जाती है कि उसमें निर्दोष लोग भी शिकार बन जाते हैं.
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