गूगल का रेवेन्यू पहली बार 100 बिलियन डॉलर पार:AI और यूट्यूब के दम पर ग्रोथ; कैसे गूगल ने दुनिया की जानकारी एक क्लिक में समेटी

गूगल का रेवेन्यू पहली बार 100 बिलियन डॉलर पार:AI और यूट्यूब के दम पर ग्रोथ; कैसे गूगल ने दुनिया की जानकारी एक क्लिक में समेटी
गूगल और अल्फाबेट ने सितंबर 2025 तिमाही में पहली बार 100 बिलियन डॉलर (करीब ₹9.06 लाख करोड़) का रेवेन्यू हासिल किया है। CEO सुंदर पिचाई ने इसे 'माइलस्टोन क्वार्टर' बताया, जिसमें सर्च, यूट्यूब और क्लाउड जैसे सेगमेंट में डबल डिजिट ग्रोथ हुई। पांच साल पहले कंपनी का तिमाही रेवेन्यू 50 बिलियन डॉलर था। गूगल के तिमाही नतीजों से जुड़ी बड़ी बातें… गूगल की यह ग्रोथ स्टोरी टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की एक मिसाल है, जो 1998 में शुरू हुई जब लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक सर्च इंजन प्रोजेक्ट के तौर पर इसे शुरू किया। आज यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है, जिसकी मार्केट वैल्यू हमारे देश की GDP से ज्यादा है। यहां हम 5 चैप्टर में कंपनी की कहानी बात रहे हैं... चैप्टर 1: दो दोस्तों का सपना और एक पुराना गैरेज 1998 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो PhD स्टूडेंट्स- लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन एक छोटे से गैरेज में बैठकर कुछ बड़ा सोच रहे थे। ये वो दौर था जब इंटरनेट अभी नया-नया था और जानकारी ढूंढना किसी जंगल में रास्ता तलाशने जैसा था। लैरी और सर्गेई का सपना था- दुनिया की हर जानकारी एक क्लिक में लोगों तक पहुंचाना। लेकिन ये सपना आसान नहीं था। उनके पास न पैसा था, न बड़ा ऑफिस। कुछ था तो पुराना गैरेज, एक-दूसरे पर भरोसा और कंप्यूटर्स के कुछ पुराने पार्ट्स। रात-रात भर कोड लिखते, चाय की चुस्कियां लेते और हंसते-खेलते एक एल्गोरिदम बना रहे थे जो 'पेजरैंक' कहलाया। ये गूगल का जन्म था- एक नाम जो 'गूगोल' से आया, यानी अनगिनत संख्याओं का प्रतीक। 'गूगोल' एक ऐसा नाम जो उनके लिए मजाक था, लेकिन दुनिया के लिए जल्द ही एक क्रांति बनने वाला था। चैप्टर 2: गिरना, संभलना और फिर उठना टेक्नोलॉजी के लीडर गूगल का शुरुआती सफर आसान नहीं था। लैरी और सर्गेई ने एक्साइटल, याहू जैसे दिग्गज कंपनियों से फंडिंग मांगी, लेकिन हर दरवाजा बंद। 'ये आइडिया काम नहीं करेगा' कहकर उन्हें लौटा दिया गया। पैसों की तंगी में वो दोस्तों के यहां सोफे पर सोते, लेकिन हार नहीं मानी। सर्गेई की मां ने एक बार उनसे कहा था 'बेटा, अगर दिल साफ हो और मेहनत सच्ची, तो रास्ता खुद बन जाएगा।' इस शब्द को उन्होंने अपना मूल मंत्र बना लिया और चलते रहे। चैप्टर 3: आम आदमी की जिंदगी में घुलमिल जाना 2000 के दशक की शुरुआत में गूगल ने धीरे-धीरे लोगों के जीवन में जगह बनाना शुरू किया। सर्च इंजन इतना तेज और सटीक था कि लोग हैरान थे। एक किसान जो बारिश की भविष्यवाणी जानना चाहता था, एक मां जो बच्चे की बीमारी का इलाज सर्च कर रही थी, या एक छात्र जो परीक्षा की तैयारी के लिए नोट्स ढूंढ रहा था- गूगल सबके लिए वो दोस्त बन गया जो कभी थकता नहीं। 2004 में जीमेल लॉन्च हुआ, जिसने फ्री में ईमेल का रास्ता खोल दिया। 2005 में एंड्रॉयड आया, जिसने कॉलिंग और टेक्स्ट वाले फोन को स्मार्ट बना दिया। 2006 में यूट्यूब ने हर व्यक्ति को स्टेज दिया। डांस वीडियो से लेकर लोक गीत तक। चैप्टर 4: अल्फाबेट का जन्म- सपनों को नई उड़ान 10 अगस्त 2015 को लैरी पेज ने गूगल को अल्फाबेट नाम की होल्डिंग कंपनी में बदल कर सबको चौंका दिया। पेज अल्फाबेट के हेड बने और गूगल, गूगल X, गूगल फाइबर, गूगल वेंचर्स, नेस्ट जैसी कंपनियां इसके तहत आईं। हर एक का अपना सीईओ बनाया गया, जो पेज को रिपोर्ट करता। मकसद था गूगल को 'साफ-सुथरा और जवाबदेह' बनाना। ये वो समय था जब गूगल ने न सिर्फ सर्च इंजन, बल्कि गूगल मैप्स, यूट्यूब, एंड्रॉयड और क्लाउड जैसी चीजों से दुनिया को चौंकाया। तब लैरी ने कहा था, 'हम दुनिया को बदलना चाहते हैं, लेकिन सही तरीके से।' सुंदर पिचाई, जो भारत के एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे, उन्हें गूगल का सीईओ बनाया। सुंदर आज कंपनी को तेज रफ्तार से ड्राइव कर रहे हैं। चैप्टर 5: चुनौतियां और जिम्मेदारियां सफलता के साथ जिम्मेदारियां भी आईं। गूगल और अल्फाबेट पर सवाल उठे प्राइवेसी को लेकर, डेटा के इस्तेमाल को लेकर। लोग डरने लगे कि क्या ये कंपनी जो उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी थी, उनकी निजता का गलत फायदा उठा रही थी? लैरी और सर्गेई ने इन सवालों का जवाब देने की कोशिश की। प्राइवेसी ब्रेक, एंटीट्रस्ट केसेज, और फेक न्यूज के इन आरोपों पर सुंदर पिचाई ने एक बार कहा था, 'हम टेक्नोलॉजी बनाते हैं, लेकिन हमारी जिम्मेदारी है कि इसे इंसानियत के लिए इस्तेमाल करें।' ये वो पल था जब गूगल ने न सिर्फ टेक्नोलॉजी, बल्कि भरोसे को भी मजबूत करने की कोशिश की। 2018-19 में लैरी-सर्गेई ने सीईओ पद छोड़ दिया, लेकिन कंपनी को सुंदर के हवाले कर भावुक विदाई ली। 'ये हमारा बच्चा है। स्टोरी सोर्स: 1. Wired Magazine (2018): "The Google Story: How Larry Page and Sergey Brin Changed the World" 2. The New York Times (2015): "Google Creates Alphabet, a New Holding Company" 3. Google’s Official History Page: From the garage to the Googleplex 4. Alphabet Investor Relation ----------------------- 1. एपल की मार्केट वैल्यू पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर पार: ये भारत की GDP के बराबर, iPhone-17 की लॉन्चिंग के बाद कंपनी का शेयर 15% बढ़ा एपल का मार्केट कैप पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर यानी 353 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है। यह आंकड़ा भारत की GDP के बराबर है। IMF के मुताबिक भारत की GDP अभी 4.13 ट्रिलियन डॉलर यानी 364 लाख करोड़ रुपए है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें... 2. चिप कंपनी एनवीडिया की वैल्यू 5 ट्रिलियन डॉलर पार: भारत की GDP से ₹90 लाख करोड़ ज्यादा; कंपनी मोबाइल-ड्रोन्स, ऑटोमैटिक गाड़ियों की चिप बनाती है सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एनवीडिया का मार्केट कैप पहली बार 5 ट्रिलियन डॉलर यानी 453 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है। एनवीडिया यह आंकड़ा पार करने वाली दुनिया की पहली कंपनी भी बन गई है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...