अब जनता नहीं दौड़ेगी दफ्तरों के चक्कर, 'समाधान' लेकर गांव-गांव पहुंचेगा प्रशासन

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अब जनता नहीं दौड़ेगी दफ्तरों के चक्कर, 'समाधान' लेकर गांव-गांव पहुंचेगा प्रशासन

सुशासन तिहार-2025 का तीसरा चरण 5 मई से, अब तक 1.38 लाख से ज्यादा आवेदन हुए निराकृत

अंबिकापुर 04 मई 2025। सरगुजा जिला सुशासन की नई मिसाल गढ़ रहा है। "सुशासन तिहार-2025" के तहत जिले में अब तक 1,63,803 आवेदनों में से 1,38,358 (84%) का समयबद्ध निराकरण कर लिया गया है। रविवार को जिला पंचायत सभाकक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में कलेक्टर विलास भोसकर ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि तिहार का तीसरा और अंतिम चरण 5 मई से शुरू होगा, जो 31 मई तक चलेगा। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में 32 और नगरीय क्षेत्रों में 25 समाधान शिविर आयोजित होंगे। प्रेस वार्ता में जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार अग्रवाल, प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बहरहाल तीसरे चरण के शिविरों से बचे हुए आवेदनों का समाधान होने के साथ ही नए आवेदनों का संग्रह होगा। जिला प्रशासन का लक्ष्य है कि हर आवेदन का गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध निराकरण हो, ताकि सुशासन का लाभ जिले के हर नागरिक तक पहुंचे। यह तिहार सरगुजा के लिए न केवल प्रशासनिक दक्षता का प्रतीक है, बल्कि जनकल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण भी है।

सुशासन की दिशा में ठोस कदम

 

कलेक्टर भोसकर ने कहा कि राज्य सरकार सुशासन को धरातल पर उतारने के लिए प्रतिबद्ध है। "सुशासन तिहार" का आयोजन आमजन की समस्याओं का त्वरित समाधान, शासकीय योजनाओं की प्रभावी निगरानी, विकास कार्यों में तेजी और जनता, जनप्रतिनिधियों व सामाजिक संगठनों के साथ सीधा संवाद स्थापित करने का अनूठा मंच है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शासन-प्रशासन का हर स्तर इस बात के लिए कटिबद्ध है कि शासकीय कार्यों में पारदर्शिता आए, योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक समय पर पहुंचे और प्रशासन जनता के प्रति जवाबदेह बने। यह आयोजन न केवल समस्याओं के समाधान का जरिया है, बल्कि सरकार और जनता के बीच विश्वास का सेतु भी बन रहा है।

पहला और दूसरा चरण: आवेदन संग्रह से निराकरण तक 

जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार अग्रवाल ने बताया कि सुशासन तिहार का पहला चरण 8 से 11 अप्रैल तक आयोजित हुआ। इस दौरान ग्राम पंचायतों, जिला-विकासखंड मुख्यालयों और 39 हाट बाजारों में समाधान पेटी, शिविर और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए 1,63,803 आवेदन प्राप्त किए गए। इनमें 1,61,016 मांग और 2,787 शिकायतें शामिल थीं। हाट बाजारों जैसे स्थानीय मंचों का उपयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच सुनिश्चित की गई। दूसरे चरण (12 अप्रैल से 4 मई) में इन आवेदनों को स्कैन कर सॉफ्टवेयर में अपलोड किया गया और संबंधित विभागों, जनपदों व नगरीय निकायों को ऑनलाइन व भौतिक रूप से भेजा गया। इस दौरान 1,36,847 मांगों और 1,511 शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण निराकरण हुआ। मांगों का समाधान बजट उपलब्धता के आधार पर किया गया। निराकरण की गुणवत्ता की समीक्षा जिला और राज्य स्तर पर की जा रही है, ताकि कोई कमी न रहे।

तीसरा चरण: 57 शिविरों में होगा समाधान और संवाद  

अग्रवाल ने बताया कि 5 मई से शुरू होने वाला तीसरा चरण 31 मई तक चलेगा। इस दौरान जिले में कुल 57 समाधान शिविर आयोजित होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 32 शिविर 8 से 15 ग्राम पंचायतों के बीच लगाए जाएंगे। नगरीय क्षेत्रों में अंबिकापुर नगर निगम में 23, सीतापुर नगर पंचायत में 1 और लखनपुर नगर पंचायत में 1 शिविर होगा। इन शिविरों में आवेदकों को उनके आवेदनों पर हुई कार्रवाई की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। नए आवेदन भी स्वीकार किए जाएंगे और जिन मामलों का समाधान मौके पर संभव होगा, उनका तत्काल निराकरण होगा। 

शिविरों में विभागीय प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी, जहां जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी, आवेदन पत्र और हितग्राहीमूलक प्रपत्र उपलब्ध होंगे। विभिन्न विभागों के अधिकारी योजनाओं की जानकारी देंगे और आवेदनों को भरने में मदद करेंगे। विकासखंड, अनुभाग और जिला स्तर के अधिकारी शिविरों में मौजूद रहेंगे। जिला स्तर पर तीन दल गठित किए गए हैं, जो शिविरों में गुणवत्तापूर्ण निराकरण और त्वरित कार्रवाई की निगरानी करेंगे। नगरीय निकायों के शिविरों में भी समान व्यवस्था होगी।

विभागवार निराकरण: पंचायत-ग्रामीण विकास सबसे आगे 

3 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न विभागों ने प्रभावी ढंग से आवेदनों का निराकरण किया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को सर्वाधिक 99,039 आवेदन मिले, जिनमें 85,730 (86%) का समाधान हुआ। इनमें स्वच्छता, प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा जैसी योजनाएं प्रमुख रहीं। राजस्व विभाग को 12,955 आवेदन मिले, जिनमें 8,921 (69%) का निराकरण हुआ। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने 7,697 में से 7,641 (99%) मामलों का समाधान किया, जो उच्च दक्षता दर्शाता है। 

शिक्षा विभाग ने 6,863 में से 6,538 (95%), खाद्य विभाग ने 6,591 में से 5,843 (89%) और महिला एवं बाल विकास विभाग ने 6,341 में से 5,290 (83%) आवेदनों का समाधान किया। नगरीय क्षेत्रों में 6,369 में से 5,234 (82%) मामलों का निपटारा हुआ। पशु चिकित्सा विभाग ने 2,428 में से 2,415 (99%), ऊर्जा विभाग ने 5,317 में से 2,200 (41%) और डेयरी विकास ने 1,975 में से 1,935 (98%) आवेदनों का निराकरण किया। 

कम आवेदन वाले विभागों में भी अच्छा प्रदर्शन रहा। श्रम विभाग ने 1,627 में से 1,412 (87%), कृषि विभाग ने 1,227 में से 982 (80%), वन विभाग ने 2,125 में से 980 (46%), सिंचाई विभाग ने 385 में से 371 (96%), मत्स्य पालन ने 316 में से 242 (77%), उद्यानिकी ने 274 में से 223 (81%), आदिवासी विकास ने 203 में से 190 (94%) और स्वास्थ्य विभाग ने 388 में से 178 (46%) आवेदनों का समाधान किया। लोक निर्माण विभाग ने 292 में से 153 (52%) मामलों का निराकरण किया।

"जनता के लिए समर्पित प्रशासन" 

कलेक्टर भोसकर ने कहा कि सुशासन तिहार केवल समस्याओं के समाधान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शासकीय योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने और प्रशासन को जनता के प्रति संवेदनशील बनाने का अभियान है। शिविरों में विभागीय प्रदर्शनियां और योजनाओं की जानकारी ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए उपयोगी साबित होंगी। यह आयोजन सरगुजा में प्रशासन और जनता के बीच विश्वास का मजबूत आधार तैयार कर रहा है।