परित्यक्त जीवन से लखपति दीदी तक: बैंक सखी बालेश्वरी यादव की प्रेरणादायक यात्रा....
अकेलेपन को हौसले में बदला, 11 करोड़ के लेन-देन के साथ सैकड़ों महिलाओं को दिखाया आत्मनिर्भरता का रास्ता
अंबिकापुर, 01 मई 2025। जीवन की मुश्किल राहों पर अकेले चलते हुए भी हार न मानने वाली बालेश्वरी यादव आज गांव की गलियों में प्रेरणा की मिसाल बन चुकी हैं। कभी पति द्वारा परित्यक्ता के रूप में जीवन जीने को मजबूर बालेश्वरी ने न केवल अपने लिए आत्मनिर्भरता का रास्ता चुना, बल्कि सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं को भी आर्थिक स्वावलंबन की राह दिखाई। बिहान योजना और स्वयं सहायता समूह के सहारे उन्होंने 11 करोड़ रुपये के लेन-देन को अंजाम दिया और आज "लखपति दीदी" के नाम से जानी जाती हैं। बहरहाल बालेश्वरी यादव की कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किल हालात में भी हार नहीं मानती। उनकी मेहनत, लगन और हौसले ने न केवल उनके जीवन को बदला, बल्कि सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता का नया रास्ता दिखाया। वह सही मायनों में "लखपति दीदी" हैं, जिनका योगदान समाज के लिए अनमोल है।
संघर्ष से शुरू हुआ सफर
बालेश्वरी का जीवन तब बिखर गया था, जब उनके पति ने उन्हें और उनके बच्चे को छोड़ दिया। अकेलेपन और आर्थिक तंगी के बीच उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 2013 में रानी लक्ष्मी बाई स्वयं सहायता समूह से जुड़कर उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। शुरुआत में मात्र 1,200 रुपये मासिक आय से शुरू हुआ उनका सफर आज 15,000-16,000 रुपये मासिक कमाई तक पहुंच चुका है। रिसोर्स बुक कीपर से बैंक सखी बनने तक की उनकी यात्रा मेहनत और लगन की जीवंत कहानी है।
11 करोड़ का लेन-देन, 2.22 लाख का कमीशन
बैंक सखी के रूप में बालेश्वरी ने अब तक 11 करोड़ रुपये का लेन-देन किया है, जिससे उन्हें 2 लाख 22 हजार रुपये का कमीशन प्राप्त हुआ। उनकी मेहनत ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया। बालेश्वरी ने 15,899 हितग्राहियों को 47.24 लाख रुपये की वृद्धा पेंशन, 10,266 मनरेगा श्रमिकों को 32.53 लाख रुपये और प्रधानमंत्री आवास योजना के 22,500 हितग्राहियों को 23 लाख रुपये से अधिक का वितरण किया।
गांव में बैंकिंग सुविधाओं का नया चेहरा
बालेश्वरी ने ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने 566 लोगों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, 447 को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना और 667 को अटल पेंशन योजना से जोड़ा। इसके अलावा, उन्होंने 2.50 करोड़ रुपये बैंक में जमा कराए, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिला।
महिलाओं के लिए वरदान बनीं बालेश्वरी
बालेश्वरी ने शासन की योजनाओं को गांव तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह न केवल बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करती हैं, बल्कि वित्तीय साक्षरता के प्रति जागरूकता भी फैलाती हैं। उनकी बदौलत ग्रामीण महिलाएं अब बैंकिंग प्रणाली से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।
अकेली मां की अटल हिम्मत
अपने 16 वर्षीय बेटे को अकेले पालने वाली बालेश्वरी कहती हैं, "जब पति ने मुझे छोड़ा, तो लगा सब खत्म हो गया। लेकिन स्वयं सहायता समूह और बिहान ने मुझे नया जीवन दिया। आज मैं अपने बेटे को पढ़ा रही हूं और सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखा रही हूं।"
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार महिला सशक्तिकरण और आर्थिक स्वावलंबन पर विशेष ध्यान दे रही है। बालेश्वरी जैसी महिलाएं इस दिशा में एक जीवंत उदाहरण हैं, जो न केवल अपने जीवन को संवार रही हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।