सूरजपुर की बेटी का संकल्प: पति की मौत के गम से उबरकर गरीब बच्चों को बना रहीं अफसर

सूरजपुर की बेटी का संकल्प: पति की मौत के गम से उबरकर गरीब बच्चों को बना रहीं अफसर
सूरजपुर की बेटी का संकल्प: पति की मौत के गम से उबरकर गरीब बच्चों को बना रहीं अफसर

60% वेतन से चला रहीं निशुल्क ऑनलाइन क्लास, सुपर-30 की तर्ज पर डिप्टी कलेक्टर बनाने का लक्ष्य  

सूरजपुर। जीवन की कठिन राहों से गुजर चुकी सूरजपुर की बेटी संगीता सोनी अब गरीब बच्चों के सपनों को पंख दे रही हैं। कलेक्टोरेट में सहायक ग्रेड-2 के पद पर कार्यरत संगीता अपने वेतन का 60% हिस्सा जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने में खर्च कर रही हैं, ताकि वे सीजीपीएससी, व्यापम और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होकर डिप्टी कलेक्टर और सरकारी अफसर बन सकें।  

संगीता सुबह ड्यूटी से पहले और रात को लौटने के बाद विशेष क्लास लेती हैं। जो बच्चे जिला मुख्यालय नहीं पहुंच पाते, उनके लिए वह ऑनलाइन क्लास के जरिए छत्तीसगढ़, जनजाति, संविधान जैसे जटिल विषयों की सरल पढ़ाई और कैरियर गाइडेंस देती हैं। उनकी ऑनलाइन क्लास ‘एसएस ट्रिकी’ में रोजाना 600 से अधिक बच्चे जुड़ते हैं। हिंदी माध्यम के बच्चों के लिए वह एनसीईआरटी की बेसिक जानकारी दे रही हैं और रात 2 बजे तक कंटेंट तैयार करती हैं। कुलमिलाकर संगीता का यह जज्बा न केवल सूरजपुर के बच्चों के लिए प्रेरणा है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक मिसाल है। 

दुखों से निकलकर बच्चों के लिए बनीं प्रेरणा

संगीता ने खुद सीजीपीएससी मेंस दो बार पास किया, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों और 2024 में परीक्षा से ठीक पहले पति की असमय मृत्यु ने उन्हें डिप्टी कलेक्टर बनने से रोक दिया। अवसाद में डूबी संगीता ने हार नहीं मानी। उन्होंने ठान लिया कि वह अपने गांव-शहर के बच्चों को वह मुकाम दिलाएंगी, जो वह हासिल नहीं कर पाईं। उनकी आधुनिक शिक्षण शैली और सरल अंदाज बच्चों को खूब भा रहा है।  

सुपर-30 की तर्ज पर बड़ा सपना

संगीता अब सुपर-30 की तर्ज पर होनहार बच्चों का चयन कर उन्हें डिप्टी कलेक्टर बनाने की तैयारी में हैं। इसके लिए वह डिजिटल क्लासरूम की व्यवस्था भी कर रही हैं। संगीता कहती हैं, “सूरजपुर और सरगुजा में कई लड़कियां बड़े सपने देखती हैं, लेकिन पैसे की कमी उन्हें रोक देती है। मेरी ऑनलाइन क्लास से वे घर बैठे सब सीख सकती हैं। मेरा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा संसाधनों के अभाव में पीछे न रहे।”  

“जो मैं नहीं बन सकी, मेरे बच्चे बनें”

संगीता बताती हैं, “2018 से मैं सीजीपीएससी की तैयारी कर रही थी। दो बार मेंस पास किया, लेकिन माता-पिता की बीमारी और 2024 में पति की अचानक मृत्यु ने मुझे तोड़ दिया। मैं महीनों डिप्रेशन में रही। फिर मैंने फैसला किया कि मेरी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। अब मैं उन बच्चों को अफसर बनाऊंगी, जो संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। यही मेरी ख्वाहिश है।”