भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती पर साहित्यिक आयोजन, साहित्य और समाज सुधार में योगदान को किया याद

भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती पर साहित्यिक आयोजन, साहित्य और समाज सुधार में योगदान को किया याद

अम्बिकापुर। भारतेंदु साहित्य एवं कला समिति, सरगुजा ने 09 सितंबर को भारतेंदु भवन में आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए। इस अवसर पर उनके साहित्यिक, सामाजिक और राष्ट्रवादी योगदान को याद किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. रामकुमार मिश्र, विशिष्ट अतिथि डॉ. मृदुला सिंह और अध्यक्षता बब्बनजी पाण्डेय ने की।डॉ. रामकुमार मिश्र ने कहा कि 1850 में काशी में जन्मे भारतेंदु ने 35 वर्ष की अल्पायु में ही साहित्य और समाज सुधार में अमर योगदान दिया। उनकी रचना भारत दुर्दशा में तत्कालीन और वर्तमान सामाजिक स्थिति का चित्रण है। डॉ. मृदुला सिंह ने उनके नाटकों जैसे हरिश्चंद्र, अंधेर नगरी और हिंसा न भवति में सामाजिक-राजनीतिक व्यंग्य को रेखांकित किया। डॉ. सुदामा मिश्र ने भारतेंदु को युगप्रवर्तक और निर्भीक रचनाकार बताया, जबकि समिति अध्यक्ष नीलिमा मिश्र ने उनके बहुआयामी व्यक्तित्व और कृष्ण भक्ति को सराहा।वरिष्ठ साहित्यकार बी.डी. लाल ने भारतेंदु पर कविता पाठ किया। इस मौके पर सरगुजिहा बोली की पत्रिका गागर के 20वें अंक का विमोचन हुआ। कार्यक्रम में समिति सचिव डॉ. सुधीर पाठक की पत्नी स्व. मंजू पाठक को दो मिनट का मौन श्रद्धांजलि दी गई। संचालन प्रकाश कश्यप और आभार प्रदर्शन डॉ. सुधीर पाठक ने किया।इस मौके पर वेदप्रकाश अग्रवाल, राजेश मिश्र, प्रभुनारायण वर्मा, राजनारायण द्विवेदी, अशोक सोनकर, अमरनाथ कश्यप, माधुरी जायसवाल, राजेश पाण्डेय, संध्या सिंह, राजधानी मिश्र, विनोद तिवारी, देवेन्द्रनाथ दुबे, रमेश द्विवेदी, विश्वासी एक्का, बी.एन. प्रसाद, राजेन्द्र शर्मा, शिवव्रत पावले, शिवनारायण सिंह, मुकुंदलाल साहू, जय गुप्ता, एम.एम. मेहता, सचिदानन्द पाण्डेय, रंजीत सारथी, दिवाकर शर्मा, दुर्गाप्रसाद तिवारी, के. के. मिश्रा एवं बड़ी सख्या में साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।