रामानुजनगर: बिना बीईओ के डूबता शिक्षा का जहाज,शिक्षा व्यवस्था बेहाल

रामानुजनगर: बिना बीईओ के डूबता शिक्षा का जहाज,शिक्षा व्यवस्था बेहाल

सूरजपुर, 13 जून 2025: जिले के रामानुजनगर विकासखंड का शिक्षा विभाग इन दिनों नेतृत्वविहीन संकट से जूझ रहा है। बीईओ पंडित भारद्वाज के निलंबन के बाद से न तो स्थायी बीईओ की नियुक्ति हुई है और न ही किसी प्रभारी अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस प्रशासनिक शून्यता ने विकासखंड की शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से पटरी से उतार दिया है। स्कूलों में शिक्षकों की कमी, युक्तियुक्तकरण और अतिशेष समायोजन की प्रक्रिया में देरी, चार्ज संबंधी कार्यों में ठहराव और प्रशासनिक अनुशासन का अभाव—ये सभी समस्याएं रामानुजनगर के शिक्षा तंत्र को गहरे संकट में धकेल रही हैं।स्थानीय शिक्षक, अभिभावक और जनप्रतिनिधि इस स्थिति से आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग की यह लापरवाही न केवल विद्यार्थियों की पढ़ाई को प्रभावित कर रही है, बल्कि ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’ के सरकारी दावों की पोल भी खोल रही है। युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में कार्यमुक्ति आदेश लंबित होने से शिक्षकों में भी असंतोष पनप रहा है।स्थानीय शिक्षक संघ के एक पदाधिकारी ने बताया, “बीईओ का पद खाली है। बिना नेतृत्व के न तो स्कूलों की समस्याओं का समाधान हो रहा है और न ही प्रशासनिक कार्यों में गति आ रही है। यह स्थिति विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों के लिए हानिकारक है।” 

प्रशासनिक लापरवाही का असर

रामानुजनगर विकासखंड में शिक्षा विभाग के ठप पड़े कार्यों का असर केवल स्कूलों तक सीमित नहीं है। इससे अन्य संबद्ध विभागों की गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं। युक्तियुक्तकरण और अतिशेष समायोजन जैसे महत्वपूर्ण कार्य अटके हुए हैं, जिससे शिक्षकों का तबादला और नियुक्ति प्रक्रिया लटकी हुई है। स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते कई कक्षाएं बिना शिक्षक के संचालित हो रही हैं, जिसका सीधा असर विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति पर पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ स्थानीय जनप्रतिनिधियों और शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि बिना बीईओ या प्रभारी बीईओ के यह स्थिति और बिगड़ सकती है। वहीं दूसरी तरफ सूत्रों की मानें तो बीईओ की नियुक्ति को लेकर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। यह स्थिति विभागीय उदासीनता को और उजागर करती है। कुलमिलाकर रामानुजनगर की यह स्थिति केवल एक प्रशासनिक खामी नहीं, बल्कि शिक्षा के प्रति सरकारी प्रतिबद्धता पर सवालिया निशान है। जब तक तत्काल बीईओ या प्रभारी बीईओ की नियुक्ति नहीं होती, तब तक विकासखंड की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं लौट सकती। सवाल यह है कि आखिर कब तक रामानुजनगर बिना ‘कप्तान’ के चलता रहेगा...? क्या सरकार और शिक्षा विभाग के पास इस संकट का कोई समाधान है, या फिर यह लापरवाही अनिश्चित काल तक जारी रहेगी...?