सब्जियों के दाम आसमान पर, मिर्ची-टमाटर ने बिगाड़ा रसोई का बजट

सब्जियों के दाम आसमान पर, मिर्ची-टमाटर ने बिगाड़ा रसोई का बजट

अम्बिकापुर/सूरजपुर। बरसात के मौसम ने क्षेत्र में सब्जियों की कीमतों को आसमान छूने पर मजबूर कर दिया है। मिर्ची, टमाटर, भिंडी, करेला, मूंग, फूल गोभी और भट्टा जैसी रोजमर्रा की सब्जियों के दाम में भारी उछाल आया है, जिससे मध्यमवर्गीय परिवारों का रसोई बजट बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बाजार में हरी मिर्च 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है, जबकि टमाटर 40 से 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। प्याज भी एक बार फिर महंगा होकर उपभोक्ताओं को रुलाने को तैयार है।स्थानीय हाट-बाजारों में सब्जियों की आवक में भारी कमी के चलते कीमतों में यह तेजी देखी जा रही है। सब्जी व्यापारियों का कहना है कि लगातार बारिश और स्थानीय बाड़ियों से आपूर्ति में कमी के कारण सभी प्रकार की सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। पहले जहां हरी मिर्च 5 रुपये में आसानी से मिल जाती थी, वहीं अब 50 रुपये में एक पाव भी मुश्किल से मिल रहा है। अन्य सब्जियों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। फूल गोभी और करेला 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुके हैं, जबकि लौकी को छोड़कर शायद ही कोई सब्जी 40 रुपये से कम में उपलब्ध हो। वहीं दूसरी तरफ सब्जी व्यापारियों का अनुमान है कि जब तक स्थानीय बाड़ियों से सब्जियों की आपूर्ति शुरू नहीं होती, तब तक कीमतों में कमी की संभावना नहीं है। लगातार बारिश और मौसम की मार ने स्थानीय उत्पादन को प्रभावित किया है, जिसका असर सीधे उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ रहा है। फिलहाल, लोगों को महंगाई की इस मार को झेलने के लिए तैयार रहना होगा।

स्थानीय आपूर्ति ठप, बाहर से आ रही सब्जियां

बाजार में स्थानीय बाड़ियों से सब्जियों की आपूर्ति लगभग ठप हो चुकी है। व्यापारियों के मुताबिक, अभी ज्यादातर सब्जियां बाहर से मंगाई जा रही हैं, जिससे कीमतें और बढ़ रही हैं। स्थानीय बाड़ियों से आपूर्ति शुरू होने में अभी समय लगेगा, जिसके चलते फिलहाल कीमतों में कमी की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। मांग और आपूर्ति का नियम यहां साफ दिख रहा है—जैसे ही आपूर्ति कम होती है, कीमतें बढ़ने लगती हैं।

मध्यमवर्गीय परिवारों पर मार

बढ़ती कीमतों ने मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर तोड़ दी है। जहां लोग पहले एक-दो किलो सब्जी खरीदते थे, वहीं अब महज एक पाव खरीदने को मजबूर हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि बढ़ती कीमतों ने उनकी जेब पर भारी बोझ डाला है। एक उपभोक्ता ने बताया, मिर्ची और टमाटर के दाम सुनकर ही पसीने छूटने लगते हैं। रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना अब मुश्किल हो रहा है।