सूरजपुर में श्री रामकथा: मिथला नगरी की महिमा और हिंदुत्व जागरण का आह्वान

सूरजपुर में श्री रामकथा: मिथला नगरी की महिमा और हिंदुत्व जागरण का आह्वान
सूरजपुर में श्री रामकथा: मिथला नगरी की महिमा और हिंदुत्व जागरण का आह्वान

सूरजपुर। शहर रंगमंच पर श्री रामकथा के पांचवें दिन का आयोजन भक्ति, संस्कार और राष्ट्रवाद के रंगों से सराबोर रहा। व्यास पीठ से स्वामी परमात्मानंद जी ने मिथला नगरी की महिमा का बखान करते हुए कहा कि यह उस युग की सर्वश्रेष्ठ नगरी थी, जहां प्रत्येक घर मंदिर-सा सुशोभित था। जलाशय, नदियां, बगीचे और खुशहाल नागरिकों से परिपूर्ण मिथला में भगवान राम और लक्ष्मण का विश्वामित्र के साथ आगमन हुआ। तुलसीदास जी के वर्णन के अनुसार, वहां का भवन सर्वसुविधायुक्त और वातानुकूलित था। स्वामी जी ने राम-सीता के मर्यादित मिलन का वर्णन करते हुए बताया कि एक सखी ने राम-लक्ष्मण की सुंदरता को देखकर कहा, “इनका श्याम और गौर वर्ण देखते ही आंखें ठहर जाती हैं, जिनका वर्णन जुबान से संभव नहीं।” विवाह के पश्चात भगवान राम ने सीता को वचन दिया, “मेरे जीवन में तुम्हारे सिवा कोई दूसरी सीता नहीं आएगी।” स्वामी जी ने मर्यादा की परिभाषा देते हुए कहा कि पराई स्त्री को मां के रूप में देखना ही सच्ची मर्यादा है। उन्होंने राजा दशरथ और जनक के संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि दशरथ ने जनक को श्रेष्ठ माना, क्योंकि उन्होंने अपनी पुत्री दी। स्वामी जी ने समकालीन समाज पर चिंता जताते हुए कहा कि दहेज के कारण बेटियों का जन्म रोकना दुर्भाग्यपूर्ण है। दशरथ जैसी सोच अपनाने से बेटियों के जन्म पर गर्व होगा। कुलमिलाकर हिंदुत्व और संस्कृति का संदेश देता यह श्री रामकथा का आयोजन ने न केवल भक्ति का आलम बिखेरा, बल्कि हिंदुत्व और संस्कारों को जीवित रखने का संदेश भी दिया। कवि सिंह और डॉ. राघव पाठक के उद्बोधन ने उपस्थित जनमानस को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा दी।

राष्ट्रवादी गायिका कवि सिंह ने भरी हुंकार  

कथा में रोहतक, हरियाणा से पधारीं प्रसिद्ध राष्ट्रवादी गायिका कवि सिंह का श्री रामकथा आयोजन समिति ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके देशभक्ति भरे गीतों ने श्रोताओं में जोश का संचार किया। कवि सिंह ने कहा, “मैं सूरजपुर और छत्तीसगढ़ को हिंदुत्व के लिए जगाने आई हूं। बेटियों को लव जिहाद से बचाने के लिए जागरूकता जरूरी है। कथा में केवल बुजुर्ग ही नहीं, परिवार और बच्चों को साथ लाएं। हिंदुत्व तभी बचेगा, जब हम एकजुट होंगे।” उन्होंने 76 वर्षीय स्वामी परमात्मानंद जी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे हिंदुओं को एकजुट करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। 

संस्कार और बच्चों पर ध्यान देने की अपील  

खजुराहो, मध्य प्रदेश से पधारे डॉ. राघव पाठक ने हिंदुओं को संस्कारों के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “धन अर्जन के साथ-साथ बच्चों पर ध्यान देना जरूरी है। बच्चे मोबाइल पर क्या देख रहे हैं, यह देखें, वरना वे लव जिहाद का शिकार हो सकते हैं। बच्चों को कथा, पूजा-पाठ और धार्मिक ग्रंथों से जोड़ें।” उन्होंने एकजुट होकर भोजन और पूजन करने की परंपरा को जीवित रखने पर जोर दिया। कथा वाचक बाल विदुषी विजया उरमलिया ने भी अपने विचार रखे और उपस्थित जनसमूह को धर्म और संस्कृति के प्रति प्रेरित किया।

गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति  

पांचवें दिन की कथा में मध्य क्षेत्र के मठ मंदिर अर्थक पुरोहित, संपर्क प्रमुख चंद्रशेखर वर्मा, विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष शिशुपाल सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बिलासपुर विभाग सह विभाग कार्यवाह संतोष यादव, सूरजपुर नगर पालिका परिषद उपाध्यक्ष शैलेश अग्रवाल, मंडल अध्यक्ष अरविंद मिश्रा, वरिष्ठ नागरिक संघ के अनिल गोयल, हरिदास अग्रवाल, मोतीलाल गुप्ता, विष्णु प्रताप अग्रवाल, एस.एन. भारती, चंद्र दत्त शर्मा, विजय अग्रवाल, राजेंद्र गुप्ता, पानमल जैन, दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, नागेंद्र पांडेय सहित हजारों मातृशक्ति और जनसमूह ने कथा का रसपान किया।