दंतैल हाथी का कहर: वृद्ध को कुचलकर मार डाला, वन विभाग की मुस्तैदी पर सवाल

दंतैल हाथी का कहर: वृद्ध को कुचलकर मार डाला, वन विभाग की मुस्तैदी पर सवाल

अम्बिकापुर। जिले के टीरंग गांव में शनिवार रात एक दंतैल हाथी ने आतंक मचा दिया। लुण्ड्रा से सीतापुर वन परिक्षेत्र में घुसे इस हाथी ने घर के बाहर निकले वृद्ध डेचका राम पैकरा को कुचलकर मार डाला। रात के अंधेरे में डेचका हाथी को नहीं देख सके और उसके करीब पहुंच गए, जिसके बाद हाथी ने उन्हें उठाकर पटक दिया। इस घटना ने ग्रामीणों में दहशत फैला दी, जो वन विभाग के तमाम दावों के बावजूद बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष के चलते डर और अनिश्चितता के साये में जीने को मजबूर हैं। मिली जानकारी अनुसार हाथी के टीरंग गांव में घुसने से रातभर अफरा-तफरी मची रही। ग्रामीणों ने एकजुट होकर हिम्मत दिखाई और देर रात तक मेहनत कर हाथी को जशपुर की ओर खदेड़ दिया। फिर भी, इसके वापस लौटने की आशंका से गांव में रातभर निगरानी रखी गई। ग्रामीणों ने बताया कि इसी हाथी ने एक दिन पहले बतौली क्षेत्र के मानपुर में जयनाथ नगेशिया के मकान को तहस-नहस कर दिया था। वहां से खदेड़े जाने के बाद यह टीरंग पहुंचा। रविवार सुबह एक अन्य हाथी मानपुर के खोखरो बहरा जंगल में देखा गया, जिसके चलते टीरंग, बांसाझाल, आमापानी, घोघरा और आसपास के गांवों में अलर्ट जारी है।

हाथियों का आतंक, वन विभाग की नाकामी उजागर

वन विभाग के दावों के उलट जमीनी हकीकत चिंताजनक है। विभाग का दावा है कि वह हाथियों की गतिविधियों पर नजर रख रहा है, लेकिन लगातार बढ़ते हमले और मौतों ने इन दावों की पोल खोल दी है। सरगुजा में इस समय 16 हाथी विचरण कर रहे हैं। चार दिन पहले लुण्ड्रा में 20 हाथियों का दल राजपुर वन परिक्षेत्र में चला गया था। वर्तमान में मैनपाट में 13, लुण्ड्रा में 3 और सीतापुर में 1 हाथी मौजूद है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की लचर व्यवस्था और समय पर कार्रवाई न होने से वे हर पल खतरे के साये में जी रहे हैं। 

ग्रामीणों में दहशत, मांग उठी कार्रवाई की 

लगातार हो रहे हाथी हमलों ने ग्रामीणों को डर और दहशत में जीने को मजबूर कर दिया है। खेतों में काम करने से लेकर रात में घर से बाहर निकलने तक, हर कदम पर खतरे की आशंका बनी रहती है। ग्रामीणों ने वन विभाग से ठोस और त्वरित कदम उठाने की मांग की है, ताकि उनकी जान-माल की रक्षा हो सके। इस ताजा घटना ने एक बार फिर मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीर समस्या को उजागर किया है, जिसका समाधान अब और टाला नहीं जा सकता।