जिला सहकारी बैंक में भ्रष्टाचार का आरोप: सीमेंट पट्टी की अस्थाई दीवार पर उठे गंभीर सवाल

जिला सहकारी बैंक में भ्रष्टाचार का आरोप: सीमेंट पट्टी की अस्थाई दीवार पर उठे गंभीर सवाल

सूरजपुर। जिला मुख्यालय के व्यस्ततम सुभाष चौक पर स्थित जिला सहकारी बैंक शाखा में सुरक्षा के नाम पर कराए गए आहाता निर्माण कार्य पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। लंबे समय से पक्की बाउंड्रीवॉल की मांग को नजरअंदाज कर बैंक प्रबंधन ने महज सीमेंट पट्टी से चारों ओर अस्थाई दीवार खड़ी कर दी, जो न केवल सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरती, बल्कि इसकी टिकाऊ क्षमता पर भी सवालिया निशान लगा रही है। इस निर्माण को देखकर स्थानीय लोग हैरान हैं और इसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा हुआ बता रहे हैं।बताते चलें कि सूरजपुर शहर के इस प्रमुख चौक पर बैंक शाखा की स्थिति ऐसी है जहां यातायात का जबरदस्त दबाव रहता है। वर्षों से स्थानीय व्यापारी, ग्राहक और नागरिक पक्की दीवार की मांग कर रहे थे, ताकि बैंक परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। सूत्रों के अनुसार, जिला सहकारी बैंक के सीईओ ने इस निर्माण कार्य के लिए प्रथम किश्त के रूप में करीब दो लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की थी। जैसे ही कार्य शुरू हुआ, लोगों में खुशी की लहर दौड़ी कि आखिरकार उनकी लंबित मांग पूरी हो रही है। लेकिन निर्माण पूरा होने पर सच्चाई सामने आई- सीमेंट पट्टी से बनी यह दीवार इतनी कमजोर दिख रही है कि थोड़ी सी धक्का-मुक्की या मौसमी प्रभाव में भी ढह सकती है।

जानकारों और निर्माण विशेषज्ञों की मानें तो इस तरह का कार्य अधिकतम एक लाख से डेढ़ लाख रुपये में आसानी से पूरा किया जा सकता था। लेकिन स्वीकृत राशि और वास्तविक व्यय में भारी अंतर ने भ्रष्टाचार की आशंकाओं को पुख्ता कर दिया है। एक स्थानीय ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ऐसे व्यस्त इलाके में पक्की ईंट या कंक्रीट की दीवार बननी चाहिए थी, जो लंबे समय तक टिके। लेकिन यहां तो अस्थाई पट्टी से काम चला दिया गया, जो सुरक्षा के लिहाज से बिलकुल अनुपयुक्त है। इसमें पैसे की बंदरबांट साफ नजर आ रही है।इस मामले ने बैंक की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्राहकों का कहना है कि जहां एक ओर बैंक जनता के पैसे की हिफाजत का दावा करता है, वहीं खुद के परिसर की सुरक्षा में इतनी लापरवाही बरतना समझ से परे है। बैंक प्रबंधन की ओर से इस पर अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है, जो विवाद को और बढ़ावा दे रहा है। स्थानीय प्रशासन और जांच एजेंसियों से मांग की जा रही है कि इस निर्माण की जांच कराई जाए और यदि भ्रष्टाचार साबित होता है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।बहरहाल, यह घटना जिला सहकारी बैंक की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान है। क्या यह सिर्फ एक निर्माण कार्य की गड़बड़ी है या इससे बड़े स्तर पर अनियमितताओं का संकेत...? जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी, लेकिन फिलहाल शहरवासी इस 'अस्थाई' निर्माण से बेहद निराश हैं।