धर्मांतरण और पुरातात्विक धरोहरों की उपेक्षा पर प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने जताई नाराजगी
अम्बिकापुर। सरगुजा की धरती पर मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव और पुरातात्विक धरोहरों की अनदेखी ने हिन्दू कुल तिलक घरवापसी अभियान के प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को आक्रोशित कर दिया है। लखनपुर और उदयपुर क्षेत्र के भ्रमण के दौरान उन्होंने धर्मांतरण के बढ़ते खेल और महेशपुर में पुरातात्विक धरोहरों के रखरखाव में लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई। इसके साथ ही प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने धर्मांतरण के खिलाफ सनातन धर्म की रक्षा और पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करने और सरगुजा की सांस्कृतिक व धार्मिक पहचान को बचाने की अपील की।
धर्मांतरण का बढ़ता खतरा
प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने सरगुजा के उदयपुर क्षेत्र में मिशनरियों द्वारा चंगाई सभा, शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर भोले-भाले हिंदुओं के धर्मांतरण की साजिश का खुलासा किया। कुन्नी, अरगोती, सायर, कुमदेवा, भकूर्मा सहित दस गांवों में मिशनरियों की गतिविधियां चरम पर हैं। जूदेव ने बताया कि शासकीय जमीन पर अवैध रूप से चर्च बनाए जा रहे हैं, और प्रशासन की लापरवाही के कारण मिशनरियों के मंसूबे कामयाब हो रहे हैं।
उन्होंने सर्व हिन्दू समाज, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और धर्म सेना के साथ बैठक कर इस गंभीर मुद्दे पर एकजुटता का आह्वान किया। जूदेव ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते इस षड्यंत्र को नहीं रोका गया, तो आने वाला समय हिंदुत्व के लिए भयावह हो सकता है। उन्होंने कहा, "हमें सनातन धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होकर काम करना होगा। भटके हुए परिवारों का पैर धोकर घरवापसी कराई जाएगी।"
महेशपुर की पुरातात्विक धरोहरों की उपेक्षा
दूसरी ओर, प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने सरगुजा के महेशपुर में पुरातात्विक धरोहरों की दुर्दशा पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर स्थित महेशपुर, जहां 8वीं से 13वीं सदी की शैव, वैष्णव और जैन धर्म से संबंधित मूर्तियां और प्राचीन टीले हैं, पुरातात्विक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। रामगढ़ के पास रेण नदी के तट पर बसे इस क्षेत्र में भगवान राम के वनवास की स्मृतियां और जमदग्नि ऋषि की पत्नी रेणुका से जुड़ी जनश्रुतियां जीवंत हैं।
श्री जूदेव ने महेशपुर में प्राचीन शिवलिंग के दर्शन किए और क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता व ऐतिहासिक कलाकृतियों को देखकर अभिभूत हुए। हालांकि, पुरातात्विक मूर्तियों पर मिट्टी और कीड़े-मकड़ों के घर देखकर उन्होंने पुरातत्व विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, "इन धरोहरों की साफ-सफाई और संरक्षण पर ध्यान न देना हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ अन्याय है।"
पर्यटन की संभावनाओं पर जोर
जूदेव ने महेशपुर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाओं पर बल दिया। उन्होंने केंद्रीय पर्यटन मंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा करने की बात कही, ताकि इस क्षेत्र को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले।