बिना ग्रामसभा को विश्वास में लिए शुरू हुआ कोयला खनन,कोयला उत्पादन शुरू हुए 5 माह बाद अब हो रहा सर्वे और पुनर्वास की चर्चा....
आठ ग्राम पंचायतें हैं प्रभावित, केवरा, दनौली व खाड़ापारा में है आज ग्राम सभा
सूरजपुर/भैयाथान (ब्रेकिंग)। जिले के भैयाथान विकासखंड के भास्करपारा कोयला खनन परियोजना में प्रकाश इंडस्ट्रीज कंपनी ने ग्रामसभा की सहमति के बिना ही खनन कार्य शुरू कर दिया, जिसे लेकर ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है। कोयला उत्पादन शुरू हुए पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब जाकर प्रशासन प्रभावित ग्रामीणों का सर्वे और पुनर्वास योजना की बात कर रहा है। यह मामला कानून की खुली अवहेलना और स्थानीय लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ का गंभीर उदाहरण बन गया है।सूत्रों की मानें तो सूरजपुर कलेक्टर एस. जयवर्धन ने 30 मई 2025 को आदेश जारी कर खाड़ापारा, दनौलीखुर्द और केंवरा ग्राम पंचायतों में 6 जून को ग्रामसभा आयोजित करने का निर्देश दिया है। इस ग्रामसभा में भूमि स्वामियों और परिवारों की पहचान कर पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 के तहत योजना बनाने की बात कही गई है। लेकिन सवाल यह है कि जब खनन कार्य जनवरी 2025 से शुरू हो चुका है, तो अब ग्रामसभा का आयोजन कितना औचित्यपूर्ण है....?कुलमिलाकर आज यानी 6 जून को होने वाली ग्रामसभा में ग्रामीण अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से उठाने की तैयारी में हैं। इस बीच, यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राज्य स्तर पर भी विकास और लोकतंत्र के बीच टकराव का प्रतीक बन गया है। ग्रामीणों की एकजुटता और उनके हक की लड़ाई अब प्रशासन और कंपनी के लिए बड़ी चुनौती बन रही है। वहीं दूसरी तरफ ग्रामीणों की आवाज दबाने के लिए पूरजोर तरीके से कवायदें भी शुरू हो गई है.....
कानून की अवहेलना, ग्रामीणों की अनदेखी
भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 के अनुसार, किसी भी परियोजना के लिए ग्रामसभा की सहमति और पारदर्शी प्रक्रिया अनिवार्य है। लेकिन भास्कर पारा कोयला खनन परियोजना से प्रभावित आठ ग्राम पंचायतों में से किसी में भी ग्रामसभा की विधिवत सहमति नहीं ली गई। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें न तो कोई जानकारी दी गई, न ही बैठक में बुलाया गया, और न ही मुआवजे या पुनर्वास की कोई प्रक्रिया शुरू की गई। स्थानीय निवासी अवध कुर्रे, विशुन राम और भगवान दास ने मांग की है कि बिना ग्रामसभा की स्वीकृति के शुरू हुए खनन को गैरकानूनी घोषित किया जाए और पिछली प्रक्रियाओं की जांच हो।
पूर्व जनपद सदस्य सुनील साहू ने उठाई आवाज
पूर्व जनपद सदस्य सुनील साहू ने एक माह पूर्व मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रकाश इंडस्ट्रीज की मनमानी और ग्रामसभा की अनदेखी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने लिखा, “कंपनी ने हिटलरशाही रवैया अपनाते हुए बिना ग्रामसभा की अनुमति के खनन शुरू कर दिया, जो संविधान और स्थानीय लोकतंत्र का उल्लंघन है।” श्री साहू ने कंपनी की कार्यप्रणाली की जांच के लिए स्वतंत्र समिति गठन की मांग की है।
ग्रामीणों का लंबा विरोध, फिर भी मनमानी
भास्करपारा कोयला खनन परियोजना के शुरुआती दौर से ही ग्रामीणों ने सर्वे, पेड़ों की गिनती और जनसुनवाई के दौरान विरोध दर्ज कराया है। सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण एकजुट होकर एसडीएम और कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और दर्जनों बार विरोध प्रदर्शन किए। इसके बावजूद, प्रकाश इंडस्ट्रीज ने जनवरी 2025 में खनन शुरू कर दिया। पर्यावरणीय प्रभाव अब साफ दिखाई देने लगे हैं, जिसके बाद प्रशासन ने हरकत में आना शुरू किया है।
प्रभावित क्षेत्र और मांगें
परियोजना से प्रभावित आठ ग्राम पंचायतों में खनन के कारण पर्यावरण, आजीविका और सामाजिक ताने-बाने पर गंभीर असर पड़ रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि पुनर्वास और मुआवजे की प्रक्रिया पारदर्शी हो, प्रभावित परिवारों को उचित रोजगार और आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जाएं, और गैरकानूनी खनन पर तत्काल रोक लगे।
प्रशासन की चुप्पी और सवाल
प्रशासन की देरी और कंपनी की मनमानी ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या ग्रामसभा की सहमति के बिना शुरू हुआ खनन कानूनी है....? पांच महीने तक प्रशासन की चुप्पी क्यों रही...? और अब जब पर्यावरणीय नुकसान और सामाजिक अशांति बढ़ रही है, तो क्या ग्रामसभा महज औपचारिकता बनकर रह जाएगी? ग्रामीणों और स्थानीय संगठनों ने इस मामले में कठोर कार्रवाई और पारदर्शी जांच की मांग की है।