बेलसोता नाला पुल की दरारें बनीं खतरे की घंटी, प्रशासन ने बंद किया आवागमन, जिला पंचायत सदस्य नरेंद्र यादव वैकल्पिक व्यवस्था त्वरित शुरू करने की मांग
सूरजपुर । जिला मुख्यालय सहित अन्य क्षेत्रों को कैलाशपुर और राजापुर से जोड़ने वाला बेलसोता नाला पुल अपनी जर्जर स्थिति के कारण ग्रामीणों के लिए खतरे का सबब बन गया है। लगभग 22 वर्ष पुराना यह पुल, जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के अंतर्गत आता है, लगातार बारिश के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। पुल में गहरी दरारें उभर आई हैं, और दो पायों में क्रैक के साथ नींव धंसने से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। यह पुल राजापुर और आसपास के दर्जनों गांवों को सूरजपुर-अम्बिकापुर सहित अन्य क्षेत्रों के मार्ग से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण जीवनरेखा है, लेकिन अब यह जोखिम का पर्याय बन चुका है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की त्वरित कार्रवाई
पुल के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिलते ही गुरुवार को सूरजपुर एसडीएम शिवानी जायसवाल, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों, जयनगर थाना से सहायक उपनिरीक्षक केश्वर मरावी और राजापुर सरपंच अमर सिंह ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए अधिकारियों ने तत्काल पुल पर आवागमन बंद करा दिया। राजापुर पंचायत ने पुल के दोनों ओर बांस और पेड़ की झाड़ियों से बैरिकेडिंग कर मार्ग अवरुद्ध कर दिया, ताकि कोई जानलेवा हादसा न हो। आसपास के गांवों में मुनादी कराकर ग्रामीणों को वैकल्पिक मार्गों की जानकारी दी जा रही है।
जिला पंचायत सदस्य की सक्रियता
शुक्रवार को जिला पंचायत सदस्य (क्षेत्र क्रमांक 3) नरेंद्र यादव ने ग्रामीणों की शिकायत पर राजापुर पहुंचकर बेलसोता नाला पुल का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा, "पुल की स्थिति अत्यंत जर्जर है, और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। यह सूरजपुर-अंबिकापुर मार्ग का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को भारी परेशानी हो रही है।" यादव ने पीडब्ल्यूडी और पीएमजीएसवाई अधिकारियों से चर्चा कर जल्द से जल्द नई पुलिया निर्माण की मांग की। उन्होंने आश्वासन दिया कि बरसात के बाद रपटा पुलिया निर्माण के लिए औपचारिक प्रस्ताव भेजा जाएगा, ताकि ग्रामीणों की समस्याओं का स्थायी समाधान हो सके।
पुल का इतिहास और पीएमजीएसवाई की भूमिका
अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, बेलसोता नाला पुल का निर्माण दशकों पहले एसईसीएल के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड से हुआ था। वर्तमान में यह पुल प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत आता है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सड़क संपर्क सुनिश्चित करना है। ग्रामीणों का आरोप है कि पीएमजीएसवाई के तहत इस पुल की नियमित रखरखाव और मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण इसकी स्थिति बिगड़ती चली गई। ग्रामीणों ने बताया कि दशकों से कोई ठोस मरम्मत कार्य नहीं हुआ, और बारिश ने नींव को और कमजोर कर दिया।
वैकल्पिक मार्ग की बदहाली
पुल के बंद होने से ग्रामीणों को कंदरई के बासेनपारा मार्ग से होकर सूरजपुर पहुंचना पड़ रहा है, जो स्वयं गड्ढों से भरा और बारिश में कीचड़युक्त हो जाता है। यह संकरा रास्ता स्कूली बच्चों, मरीजों, गर्भवती महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए जोखिम भरा है। स्थानीय निवासी शांति देवी ने कहा, "वैकल्पिक मार्ग की हालत इतनी खराब है कि यह सफर दुस्वप्न जैसा है। बारिश में यह और खतरनाक हो जाता है।"
प्रभावित जनजीवन और ग्रामीणों की मांग
बेलसोता नाला पुल के क्षतिग्रस्त होने से राजापुर, कैलाशपुर और आसपास के गांवों का जनजीवन प्रभावित हुआ है। स्कूली बच्चों की पढ़ाई, मरीजों का अस्पताल पहुंचना और दैनिक जरूरतों के लिए बाजार जाना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों ने कहा, "यह पुल हमारी जीवनरेखा है। इसके बिना जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है।" ग्रामीणों ने पीएमजीएसवाई और पीडब्ल्यूडी से तत्काल मरम्मत कार्य शुरू करने और दीर्घकालिक समाधान के लिए नई पुलिया निर्माण की मांग की है।