राम कथा का भव्य समापन: संतों ने हिंदू समाज को दी एकजुटता और स्वदेशी की प्रेरणा, विशाल भंडारे के साथ कार्यक्रम संपन्न

राम कथा का भव्य समापन: संतों ने हिंदू समाज को दी एकजुटता और स्वदेशी की प्रेरणा, विशाल भंडारे के साथ कार्यक्रम संपन्न
राम कथा का भव्य समापन: संतों ने हिंदू समाज को दी एकजुटता और स्वदेशी की प्रेरणा, विशाल भंडारे के साथ कार्यक्रम संपन्न

सूरजपुर, 26 मई 2025। शहर के रंगमंच मैदान में नौ दिनों तक चली श्री राम कथा का भव्य समापन संतों के सान्निध्य, मंत्रोच्चार और विशाल भंडारे के साथ हुआ। प्रमुख संतों ने हिंदू समाज को संगठित होकर स्वदेशी अपनाने और संस्कारों को अपनाने का आह्वान किया। इस ऐतिहासिक आयोजन में महाकालेश्वर सर्वेश्वर दास जी महाराज , श्री सीताराम दास जी महाराज , बबरू वाहन जी महाराज और व्यास पीठ स्वामी परमात्मानंद गिरी ने समाज को जागृत करने का संदेश दिया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाडे, प्रेमनगर विधायक भूलन सिंह मरावी और हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

 संतों का आह्वान: “संधे शक्ति कलियुगे”

महामंडलेश्वर सर्वेश्वर दास जी महाराज ने हिंदू समाज को एकजुटता का मंत्र देते हुए कहा, “कलियुग में भगवान नहीं, संगठन ही शक्ति है।” उन्होंने हिंदू संस्कारों पर जोर देते हुए कहा, “हर सुबह अपने बड़ों और भगवान का आशीर्वाद लें। इससे मानव में सद्बुद्धि जागेगी और वह ऐश्वर्य व वैभव प्राप्त करेगा।” उन्होंने जाति-पंथ की बाधाओं को तोड़ने की अपील की और कमजोर वर्ग को मजबूत करने का आह्वान करते हुए नारा दिया: “जाति-पाति की करो पिटाई, हिंदू-हिंदू भाई-भाई।”

सर्वेश्वर दास जी ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर बल देते हुए कहा, “विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें। स्वदेशी अपनाने से देश मजबूत होगा, और देश मजबूत होगा तो हमारा समाज अडिग रहेगा।” उनका नारा था: “स्वदेशी अपनाना है, देश को बचाना है।

 श्री सीताराम दास जी: राम नाम के बिना राष्ट्र निर्माण असंभव

श्री सीताराम दास जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा, “राम नाम के बिना सुख-शांति और राष्ट्र निर्माण संभव नहीं। संतों का सान्निध्य समाज को समृद्धि और वैभव की ओर ले जाता है।” उन्होंने प्रभु श्रीराम के सबरी के जूठे बेर खाने और श्रीकृष्ण के विदुर के घर साग खाने के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए ऊंच-नीच की भावना को समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “जब तक शहरी समाज गाँवों में जाकर वनवासियों को गले नहीं लगाएगा, तब तक समाज में समरसता स्थापित करना कठिन है।”

 महंत रामरूप दास जी: हिंदू परिवार की छह धुरियां

मंदकुद्वीप से पधारे महंत रामरूप दास जी ने हिंदू परिवार की छह धुरियों—भाषा, भूषा, भवन, भोजन, भजन और भ्रमण—पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “मर्यादित भाषा का उपयोग करें, जो दूसरों को अपमानित न करे। भारतीय परिधान अपनाएं, खासकर माताएं-बहनें जीन्स जैसे विदेशी वस्त्रों से बचें। घर को वास्तु के अनुसार देवालय बनाएं, तुलसी का पौधा और पूजा स्थल अनिवार्य हो। भोजन शुद्ध और भगवान को चढ़ाने योग्य हो। परिवार सप्ताह में एक बार भजन और आरती के लिए एकत्र हो, और वर्ष में छोटी-बड़ी तीर्थ यात्राएं करें।” उन्होंने पड़ोसियों से संपर्क और सामाजिक एकता पर भी जोर दिया।

 बबरू वाहन जी महाराज: नशामुक्ति और 16 संस्कार

गहिरा गुरु आश्रम, कैलाश गुफा (जशपुर) से पधारे बबरू वाहन जी महाराज ने समाज में समरसता और 16 संस्कारों पर बल दिया। उन्होंने कहा, “सनातनी परिवारों में सभी संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से होने चाहिए। नशा समाज और परिवार का नाश करता है, इसे जड़ से समाप्त करें।” उन्होंने बच्चों को संस्कृति और विरासत से जोड़ने की अपील की।

मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाडे: संतों का आशीर्वचन सूरजपुर का सौभाग्य

छत्तीसगढ़ सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाडे ने कहा, “सूरजपुर के लिए यह परम सौभाग्य है कि इतने महान संतों का आशीर्वचन और स्वामी परमात्मानंद जी की राम कथा हमें प्राप्त हुई। संत समाज को जोड़ने और श्रीराम के मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं।” उन्होंने इस तरह के आयोजनों को निरंतर जारी रखने की अपील की।

व्यास पीठ स्वामी परमात्मानंद: रामराज्य के लिए एकता जरूरी

व्यास पीठ स्वामी परमात्मानंद जी ने अपने समापन उद्बोधन में कहा, “भारत में बाहुल्य हिंदू समाज है, लेकिन एकजुटता के अभाव में हम प्रताड़ित होते हैं। मतदान को नागरिक कर्तव्य समझें और देशहित में कार्य करें। श्रीराम के चरित्र में उत्तम पुत्र, पति, भाई, राजा और नागरिक के गुण समाहित हैं। इन मूल्यों को अपनाकर ही रामराज्य की संकल्पना साकार होगी।” उन्होंने सूरजपुरवासियों को इस भव्य आयोजन के लिए साधुवाद दिया।

 भव्य आयोजन, विशाल भंडारा

आयोजन समिति के अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने सभी संतों, मंत्रियों, विधायकों, कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं का हृदय से आभार जताया। स्वागत उद्बोधन शशिकांत गर्ग ने किया। कार्यक्रम में ठाकुर प्रसाद राजवाडे, हरिदास अग्रवाल, रामरूप गुप्ता, विजय अग्रवाल, श्रवण जैन, अनिल गोयल, भीमसेन अग्रवाल, रविशंकर मिश्रा, राजेंद्र गुप्ता, पवन मित्तल, राम अवतार अग्रवाल, धर्मवीर अग्रवाल, रामखेलावन साहू, जोखन साहू सहित समिति के सभी सदस्य सक्रिय रहे।समापन के बाद रात 8 बजे तक चले विशाल भंडारे में हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। आयोजन समिति के उपाध्यक्ष शंकर अग्रवाल, उमेश चौबे, सचिव के.के. मिश्रा, सह-सचिव व्ही.एस. मिश्रा, शिवशंकर कुशवाहा, कोषाध्यक्ष हिमांशु जैन, सह-कोषाध्यक्ष नीरज जिंदिया, और अन्य सदस्यों जैसे शशिकांत गर्ग, संदीप अग्रवाल, शैलेश अग्रवाल, धर्मपाल अग्रवाल, प्रमोद तायल, दिनेश साहू, लक्ष्मीकांत साहू, अंकित तिवारी, पवन अग्रवाल, अवधेश अग्रवाल, शोभनाथ प्रजापति, प्रणव अग्रवाल, शिवप्रसाद साहू, संजय गुप्ता, मोनिका सिंह, बबिता सिंह, शशि किरण खेंस, रोशनी सोनी, ललिता जायसवाल, प्रदीप गुप्ता, प्रदीप देवांगन, अंकित कोसरिया, कमलेश साहू, आशीष कसेरा, अनुज साहू, संत सिंह, मनोज पांडेय, चंद राम कंवर, नीरज गुप्ता, आशीष सिंह आदि ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

 समरसता और संस्कृति संरक्षण का संदेश

यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक उत्साह का केंद्र बना, बल्कि हिंदू समाज में एकता, समरसता, स्वदेशी और संस्कृति संरक्षण का संदेश जन-जन तक पहुंचाने में सफल रहा। संतों के आशीर्वचन और राम कथा के माध्यम से सूरजपुरवासियों ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। मनोज जायसवाल ने कहा “यह आयोजन सभी नगरवासियों, प्रबुद्धजनों और श्रोताओं के सहयोग से भव्य और दिव्य बना। भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहें, इसके लिए सभी का सहयोग अपेक्षित है।” 

कार्यक्रम के अंत में व्यास पीठ की विदाई के साथ कथा को विराम दिया गया, लेकिन इसके संदेश सूरजपुर के जनमानस में गूंजते रहेंगे।