ताज के शेर दिनेश साहू: तीन गोलियां खाकर भी आतंकी को ढेर करने वाले कमांडो बने नायब सूबेदार, शौर्य चक्र से सम्मान
सूरजपुर के चंदननगर के लाल ने 70 घंटे के खूनी ऑपरेशन में लिखी थी वीरता की अनमोल गाथा
सूरजपुर, 02 अगस्त 2025 । सूरजपुर जिले के प्रेमनगर के छोटे से गांव चंदननगर का नाम आज फिर गर्व से ऊंचा हो रहा है। यहां का सपूत, एनएसजी कमांडो दिनेश साहू, जिसने 2008 में मुंबई के ताज होटल पर हुए आतंकी हमले में अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकियों को धूल चटाई थी, अब सेना में नायब सूबेदार के पद पर पहुंचा है। इतना ही नहीं, उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें शौर्य चक्र से भी नवाजा गया है।बहरहाल कमांडो दिनेश साहू की वीरता की गाथा केवल सूरजपुर तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है। तीन गोलियां खाने के बाद भी आतंकियों से भिड़ने वाला यह जांबाज आज भी अपने कर्तव्य पथ पर अडिग है। उनके शौर्य और सम्मान ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को गर्व का अहसास कराया है।
70 घंटे की जंग, तीन गोलियों के बीच वीरता की मिसाल
2008 का वो काला दिन, जब मुंबई का ताज होटल आतंकियों के निशाने पर था। एनएसजी कमांडो दिनेश साहू ने अपनी टीम के साथ 70 घंटे तक चले इस खतरनाक ऑपरेशन में आतंकवादियों से जमकर लोहा लिया। तीन गोलियां उनके शरीर को भेद गईं, मगर उनका हौसला नहीं डगमगाया। एक आतंकी को मार गिराने के साथ-साथ उन्होंने होटल में फंसे सैकड़ों बेगुनाहों की जान बचाई। उनकी इस वीरता ने न केवल सेना, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया।
चंदननगर से ताज तक का प्रेरणादायी सफर
चंदननगर की मिट्टी में पले-बढ़े दिनेश साहू ने 2002 में भारतीय सेना में कदम रखा। गार्ड्स रेजिमेंट्स सेंटर, कामठी (नागपुर) में प्रशिक्षण के बाद उनकी पहली तैनाती पोखरण, राजस्थान में हुई। 2006 में एनएसजी में शामिल होने के बाद उन्होंने अपनी काबिलियत और जज्बे से हर चुनौती को अवसर में बदला। वर्तमान में 70 ग्रेनेडियर्स यूनिट में बाड़मेर के जालिया कैंप में तैनात दिनेश ने 1 अगस्त 2025 को कर्नल विजेंद्र सिंह यादव के हाथों शौर्य चक्र और नायब सूबेदार की पदोन्नति हासिल की।
जिले में खुशी की लहर, युवाओं के लिए प्रेरणा
दिनेश साहू की इस ऐतिहासिक उपलब्धि से सूरजपुर और प्रेमनगर में उत्साह का माहौल है। स्थानीय युवा उन्हें अपना हीरो मानते हैं, जिनके साहस और समर्पण की कहानियां हर दिल को छू रही हैं। ताज हमले में उनके पराक्रम ने जहां आतंकियों को घुटने टेकने पर मजबूर किया, वहीं उनकी यह उपलब्धि युवाओं को सेना में सेवा के लिए प्रेरित कर रही है।