जन्म से नेत्रहीन दंपत्ति ने रचा संघर्ष की मिसाल, मनरेगा से मिला सहारा—अब मजदूरों को पानी पिलाकर कमा रहे सम्मानजनक रोज़ी-रोटी

सूरजपुर 16 अप्रैल 2025। जिले के प्रतापपुर विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत खजुरी में रहने वाले दिव्यांग श्यामसाय पैकरा और उनकी पत्नी निरपति ने साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, मेहनत और आत्मबल के दम पर हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है। दोनों पति-पत्नी जन्म से ही नेत्रहीन हैं, लेकिन कभी किस्मत को कोसा नहीं—भीख मांगने के बजाय खुद के लिए रोजगार का रास्ता तलाशा।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे इस दंपत्ति की सुध स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ली और प्रशासन के समक्ष इनकी स्थिति रखी। पहल रंग लाई और प्रशासन ने मनरेगा योजना के तहत दोनों का जॉब कार्ड जारी कर रोजगार उपलब्ध कराया। अब यह जोड़ा मनरेगा के कार्यस्थल पर मजदूरों को पानी पिलाकर रोज़गार प्राप्त कर रहा है।
पहले इनका गुज़ारा केवल शासकीय राशन और निरपति को मिलने वाली पेंशन पर चलता था, लेकिन बढ़ती महंगाई ने स्थिति विकट कर दी थी। मजबूरियों के आगे झुकने के बजाय इन्होंने प्रशासन से संपर्क किया और काम मांगा—मिला भी। अब न केवल इन्हें रोज़गार मिला है, बल्कि जिला प्रशासन की ओर से प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।
दंपत्ति का कहना है, "हम सक्षम नहीं, लेकिन मेहनती जरूर हैं। हमें मौका चाहिए, सहानुभूति नहीं।"
यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो विपरीत परिस्थितियों में हार मान लेते हैं। शासन की मंशा भी यही है कि अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचे और हर नागरिक सम्मानपूर्वक जीवन जी सके।