बसकर में कीचड़ की चादर बिछा रास्ता बना अभिशाप, स्कूल- अस्पताल की राह में कांटे
निजी भूमि की अड़चन, ग्रामीणों की पुकार- प्रशासन दे स्थायी समाधान
सूरजपुर/भैयाथान। ग्राम पंचायत बसकर के नागमुड़ा क्षेत्र में स्टेट हाइवे 12 से साहूपारा को जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता ग्रामीणों के लिए सजा बन गया है। तालाब की मेड़ से होकर गुजरने वाला यह मार्ग बारिश के मौसम में कीचड़ और दलदल की दलदल में तब्दील हो जाता है, जिससे कई परिवारों का जीवन ठहर सा गया है। बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पा रहे, बीमारों को अस्पताल ले जाना दूभर हो गया है, और बुजुर्गों व महिलाओं के लिए हर कदम पर फिसलन का डर सताता है। 75 सालों से बसी इस बस्ती के लिए यह बदहाल रास्ता अब केवल असुविधा नहीं, बल्कि मानवाधिकार और बच्चों की शिक्षा के अधिकार पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। बहरहाल क्या प्रशासन सुनेगा ग्रामीणों की पुकार...? क्या इस कीचड़ भरे रास्ते से निकलेगी राहत की राह....? यह सवाल अब बसकर के हर उस निवासी के मन में है, जो इस बदहाली से जूझ रहा है।
ग्रामीणों का दर्द: कीचड़ में डूबी जिंदगी
स्थानीय निवासी परमेश्वर साहू ने गहरे दुख के साथ बताया, "बारिश में यह रास्ता कीचड़ का तालाब बन जाता है। बच्चे स्कूल जाते वक्त फिसलकर चोटिल हो रहे हैं। बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाना किसी जंग से कम नहीं। महिलाएं और बुजुर्ग हर कदम पर डरते हैं।" ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या वर्षों पुरानी है, लेकिन निजी भूमि होने के कारण कोई स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा। सुशासन तिहार के दौरान आवेदन (क्रमांक 25143272000006) के जरिए इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन भूमि मालिक की अनुमति के अभाव में पंचायत और प्रशासन के हाथ बंधे हैं।
निजी भूमि बनी रोड़ा, समाधान की राह टेढ़ी
यह रास्ता कुछ हिस्सों में निजी भूमि से होकर गुजरता है, जिसके कारण इसका पक्का निर्माण नहीं हो पा रहा। ग्रामीणों ने बताया कि बार-बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन और पंचायत की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस बदहाली ने न केवल ग्रामीणों का जीना मुहाल कर दिया है, बल्कि उनकी मूलभूत सुविधाओं पर भी सवाल उठा रहा है।
सरपंच की उम्मीद: ग्रामसभा लाएगी राहत.....?
सरपंच सुरेश सिंह ने इस मुद्दे पर कहा, "हम इस समस्या से वाकिफ हैं। चूंकि रास्ता निजी भूमि पर है, इसलिए निर्माण में दिक्कत आ रही है। लेकिन यह मार्ग वर्षों से उपयोग में है, ऐसे में ग्रामसभा और प्रशासन की अनुशंसा से इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए दर्ज किया जा सकता है। पंचायत समन्वय करेगी ताकि निजी संपत्ति का हनन न हो और ग्रामीणों को राहत मिले।"
ग्रामीणों की गुहार: अब और इंतजार नहीं
साहूपारा के ग्रामीण अब और इंतजार के मूड में नहीं हैं। उनकी मांग है कि प्रशासन तत्काल इस रास्ते का स्थायी समाधान करे। वे चाहते हैं कि बच्चों की पढ़ाई, मरीजों का इलाज और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए एक सुरक्षित और पक्का रास्ता बने। यह न केवल उनकी जिंदगी को आसान बनाएगा, बल्कि उनके मूलभूत अधिकारों की रक्षा भी करेगा।