राजनीतिक प्रकरणों की वापसी पर छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला,लोकतंत्र में विरोध करना अपराध नहीं: उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा
सूरजपुर 13 अप्रैल 2025 ।राज्य सरकार ने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और राजनीतिक द्वेष से दर्ज मामलों को खत्म करने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए अब तक 103 गैर-गंभीर राजनीतिक प्रकरणों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इनमें से 41 मामलों में न्यायालय से विधिवत स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।गृह विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इन मामलों की समीक्षा मंत्रिमंडलीय उपसमिति द्वारा की गई, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि ये प्रकरण अहिंसक, गैर-गंभीर और केवल शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन या राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े हैं। इसके आधार पर इन मामलों को वापसी के लिए मंत्रिपरिषद में अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया गया, जहां से हरी झंडी मिलने के बाद न्यायालयों में याचिकाएं दायर की गईं।
सूरजपुर के दो राजनीतिक प्रकरण भी लिए गए वापस,2018 में दर्ज हुए थे मामले ,14 नामजद कार्यकर्ताओं को मिली राहत
सूरजपुर जिले में वर्ष 2018 में दर्ज दो राजनीतिक मामलों में कुल 14 राजनीतिक कार्यकर्ताओं को राहत दी गई है। जिसमें अपराध क्रमांक 08/18, इस मामले में सियाराम पांडेय, प्रदीप द्विवेदी, अवधेश, वंशरूप यादव, धनुकधारी यादव, जटाशंकर पाठक, कृपाशंकर पाठक, अंशु पांडेय, शशांक कुमार सिंह, कन्नू सिंह, अजय कुमार दुबे, राजेश पांडेय, नीतीश सिंह और शिवबालक यादव शामिल थे। इन पर बिना अनुमति के धरना-प्रदर्शन करने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाया गया था। इसके साथ ही
अपराध क्रमांक 191/18 में अजय गोयल पर आदर्श आचार संहिता उल्लंघन करते हुए रैली निकालने का मामला दर्ज हुआ था।इन दोनों प्रकरणों को सूरजपुर न्यायालय ने क्रमशः 7 और 13 दिसंबर 2024 को वापस लेने की स्वीकृति दी।
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उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा का बयान
"लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा हमारी प्राथमिकता, निर्दोषों को झूठे केस में नहीं फंसने देंगे"
उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि सरकार की नीति स्पष्ट है—राजनीतिक द्वेष से प्रेरित मामलों की वापसी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, "पिछली सरकारों के कार्यकाल में कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ केवल विरोध प्रदर्शन या रैलियों के चलते केस दर्ज किए गए, जो लोकतंत्र का हिस्सा हैं। अब उन सभी मामलों की निष्पक्ष समीक्षा की जा रही है।"
श्री शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार जनहित, पारदर्शिता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। "यह निर्णय न केवल न्यायसंगत है बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है," उन्होंने कहा।
प्रकरण वापसी की कानूनी प्रक्रिया
राजनीतिक प्रकरणों की वापसी एक विस्तृत और कानूनी प्रक्रिया के तहत की जाती है। सबसे पहले राज्य शासन द्वारा सभी जिलों में दर्ज राजनीतिक प्रकरणों की समीक्षा की जाती है। गृह विभाग द्वारा संबंधित जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाता है कि कौन-से मामले गंभीर प्रकृति के नहीं हैं और जिनमें हिंसक घटनाएं शामिल नहीं हैं। इसके बाद मंत्रिमंडलीय उपसमिति की अनुशंसा उपरांत, प्रकरण को मंत्रिपरिषद में अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाता है। अनुमोदन प्राप्त होने के बाद न्यायालय में प्रकरण वापसी का आवेदन प्रस्तुत किया जाता है। न्यायालय द्वारा इस मामले की विधिवत समीक्षा के उपरांत अभियुक्तों को राहत प्रदान करने की अनुमति दी जाती है। न्यायालय की स्वीकृति प्राप्त होने के बाद संबंधित पुलिस रिकॉर्ड से अभियुक्तों के नाम हटा दिए जाते हैं और उन्हें विधिवत मुक्ति प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है। शासन स्तर पर इस निर्णय को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का सम्मान हो और राजनीतिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न कानूनी समस्याओं का समाधान किया जा सके।
राजनीतिक संदेश भी साफ
राज्य सरकार ने इस निर्णय के ज़रिए स्पष्ट संदेश दिया है कि लोकतांत्रिक आंदोलनों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा और राजनीतिक विरोध करने वालों को कानून के नाम पर डराया नहीं जाएगा। वहीं यह भी संकेत दिया कि हिंसक या कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले मामलों पर सख्ती जारी रहेगी।