आंगनबाड़ियों में घटिया सामान की आपूर्ति पर बड़ा एक्शन: 6 सप्लायर ब्लैकलिस्ट गुणवत्ताहीन सामग्री बदली गई,मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के सख्त निर्देश पर कार्रवाई, जांच समिति ने सौंपी विस्तृत रिपोर्ट
रायपुर, 12 जुलाई 2025। छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों और महिलाओं के लिए आपूर्ति की गई घटिया सामग्री के मामले में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने कड़ा रुख अपनाते हुए त्वरित कार्रवाई की है। उनके निर्देश पर गठित राज्य स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर छह सप्लायर एजेंसियों—मेसर्स नमो इंटरप्राइजेस, आयुष मेटल, अर्बन सप्लायर्स, मनीधारी सेल्स, ओरिएंटल सेल्स और सोनचिरिया कॉर्पोरेशन—को जेम पोर्टल से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। ये एजेंसियां अब किसी भी शासकीय आपूर्ति में हिस्सा नहीं ले सकेंगी। साथ ही, सभी घटिया सामग्रियों को वापस मंगाकर मानक अनुरूप सामग्री उपलब्ध कराई गई है। उक्ताशय पर
मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा, “आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों और महिलाओं के लिए केवल सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण सामग्री पहुंचेगी। हमने त्वरित और पारदर्शी जांच के साथ दोषी एजेंसियों पर कड़ी कार्रवाई की है। हमारी प्राथमिकता है कि हर आंगनबाड़ी केन्द्र तक बेहतर संसाधन पहुंचें।”
कुलमिलाकर यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक सख्ती का उदाहरण है, बल्कि बच्चों और महिलाओं के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।
पारदर्शी जांच और सख्त कार्रवाई
मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के निर्देश पर गठित जांच समिति में संयुक्त संचालक (वित्त), सीएसआईडीसी और जीईसी रायपुर के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ-साथ SGS इंडिया और IRCLASS सिस्टम्स के विशेषज्ञ शामिल थे। समिति ने रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जशपुर, सरगुजा और जांजगीर-चांपा जिलों में सामग्रियों का भौतिक सत्यापन किया। जांच में पाया गया कि कुछ टेबल असेंबल नहीं थे, अनाज कोठी भारतीय मानक (BIS) के अनुरूप नहीं थी, स्टील ट्रे के वजन और साइज में कमी थी, तथा तवे की गुणवत्ता भी मानकों से कम थी। इन कमियों को तत्काल सुधारा गया और दोषी एजेंसियों से सामग्री बदलवाई गई।
मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति का असर
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत यह कार्रवाई राज्य सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही को दर्शाती है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि बच्चों, महिलाओं और गरीबों के हितों से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभाग ने यह भी खारिज किया कि 40 करोड़ रुपये की खरीद हुई, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया। वास्तव में, वर्ष 2024-25 में जेम पोर्टल के माध्यम से 23.44 करोड़ रुपये की सामग्री खरीदी गई, जिसमें पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही।
गुणवत्ता पर विशेष ध्यान, भुगतान में सख्ती
महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्पष्ट किया कि किसी भी घटिया सामग्री के लिए भुगतान नहीं किया गया। विभाग की नीति के अनुसार, गुणवत्ता जांच के बाद ही भुगतान होता है, जिससे आपूर्तिकर्ताओं की मनमानी पर अंकुश लगता है। जांच में अलमारी, कुकर, चम्मच और गिलास जैसे अधिकांश सामान मानकों के अनुरूप पाए गए, जबकि कढ़ाई में मामूली वजन भिन्नता को छोड़कर कोई बड़ी खामी नहीं मिली।