लापरवाही की जड़ें खोदेगी जांच....? विकासखंड स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों पर भी तलवार या फिर छोटे कर्मियों पर ही रुकेगी कार्यवाही

लापरवाही की जड़ें खोदेगी जांच....? विकासखंड स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों पर भी तलवार या फिर छोटे कर्मियों पर ही रुकेगी कार्यवाही

रायपुर/सूरजपुर, 11 अगस्त 2025। सूरजपुर जिले के भटगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कक्ष की लापरवाही का मामला अब और गहराता जा रहा है। 9 अगस्त को ओड़गी विकासखंड की श्रीमती कुन्ती पंडो के प्रसव के दौरान डॉक्टरों और स्टाफ की अनुपस्थिति ने न केवल एक महिला की जान जोखिम में डाली, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए। RHO (महिला) श्रीमती विक्टोरिया केरकेट्टा को निलंबित करने और मेडिकल ऑफिसर-स्टाफ नर्स पर कार्रवाई की अनुशंसा के बाद अब सवाल उठ रहा है- क्या यह जांच सिर्फ छोटे स्तर के कर्मचारियों तक सीमित रहेगी, या विकासखंड स्तर के पदस्थ स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका पर भी गाज गिरेगी...?

जिला स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट में लापरवाही की पुष्टि होने पर जब स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कड़े निर्देश मामले के संज्ञान में आते ही स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को पूरे मामले की जांच करने और दोषी अधिकारी कर्मचारी पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद देर रात जिला प्रशासन द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उक्त कार्यवाही व जांच में लापरवाही की पुष्टि पाएं जाने का जिक्र और जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाने का उल्लेख है। वहीं दूसरी तरफ विज्ञप्ति सार्वजनिक होने के बाद लगातार जनचर्चाओ में अब जांच का दायरा बढ़ाने की मांग तेज हो रही है। विकासखंड स्तर के अधिकारियों, जैसे ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (BMO) और अन्य पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी पर सवाल उठ रहे हैं- क्या वे ड्यूटी रोस्टर की निगरानी में विफल रहे...? क्या ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने में उनकी लापरवाही थी..? यदि हां, तो क्या उन्हें बख्शा जाएगा...?

सूत्रों की मानें तो यह मामला सिर्फ एक केंद्र तक सीमित नहीं है। लापरवाही को रोकने के लिए पूरे सिस्टम की समीक्षा जरूरी है। विकासखंड स्तर के अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए, वरना छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई से समस्या जड़ से नहीं मिटेगी।अब शासन को भेजी गई रिपोर्ट में इस पहलू को शामिल करने की सिफारिश हुई है या नहीं यह सार्वजनिक नहीं हुई है। इसके अलावा जिला स्तरीय टीम ने अब तक ब्लॉक स्तर के रिकॉर्ड्स की पड़ताल किया या नहीं , जिसमें ड्यूटी आवंटन, निगरानी और ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए ट्रेनिंग जैसी अन्य पहलुओं की कमियां शामिल हैं इन अहम पहलूओ पर जांच होगी या नहीं यह भी चर्चाओं में शामिल हैं। क्योंकि यह घटना ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली को उजागर करती है, जहां अक्सर छोटे कर्मचारी बोझ तले दबे रहते हैं, लेकिन उच्चाधिकारियों की जवाबदेही कमजोर पड़ जाती है। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि जांच को पारदर्शी बनाया जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। क्या यह मामला एक मिसाल बनेगा, या फिर पुरानी कहानी दोहराई जाएगी..?