बेलगाम कोल परिवहन से धूल का गुबार: भारी वाहनों से सड़कें जर्जर, रहवासी परेशान नहीं हो रहा समाधान
सूरजपुर। जिले में बेलगाम कोल परिवहन से आमजन हलकान परेशान हैं वहीं दूसरी तरफ जवाबदेह मुक दर्शक बने हुए हैं। दरअसल दतिमा से नावापारा हनुमान मंदिर तक करंजी व भटगांव साइडिंग में भारी ट्रेलर वाहनों के कारण उड़ती धूल ने स्थानीय लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। सड़कों पर धूल का गुबार इस कदर है कि व्यापारी और ग्रामीण सुबह-शाम पाइप से पानी छिड़कने को मजबूर हैं। पानी के अत्यधिक छिड़काव से धूल कीचड़ में बदल रही है, जिससे गड्ढों से पहले ही त्रस्त राहगीरों और दुकानदारों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।लोक निर्माण विभाग द्वारा गड्ढों में डाली गई भराई सामग्री अब धूल बनकर उड़ रही है, जो बरसात में कीचड़ और सूखे मौसम में धूल का कारण बन रही है। इससे दुकानदारों और वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ओवरलोड वाहनों से सड़कें लगातार क्षतिग्रस्त हो रही हैं, जिससे वाहनों के सस्पेंशन और टायरों को नुकसान पहुंच रहा है। इससे ब्रेक फेल होने और टायर फटने जैसी दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
धूल से बीमारियां, सफाई में जुटे लोग फिर भी राहत नहीं
धूल के कारण दुकानों और घरों में सामान पर परत जम रही है। लोग दिनभर सफाई करने को मजबूर हैं, फिर भी समस्या बरकरार है। धूल से दमा, जुकाम और त्वचा रोग जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। दुकानदार रूमाल बांधकर काम करने को विवश हैं, वहीं भारी वाहनों के गुजरने पर उपभोक्ताओं को मुंह छिपाना पड़ता है।
नो एंट्री की उड़ रही धज्जियां, निगरानीकर्ता बने तमाशबीन
जिला प्रशासन ने भारी वाहनों पर सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक नो एंट्री लागू की है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा। करंजी और भटगांव साइडिंग में दिन-रात ट्रेलर वाहन दौड़ रहे हैं, जिससे स्कूल जाने वाले बच्चों और अभिभावकों को खासा परेशानी हो रही है। यातायात व्यवस्था बेकाबू हो रही है और दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। ग्राम राई के वार्ड पंच अब्दुल अहद खान ने बताया कि धूल के कारण पीछे चल रहे वाहन चालकों को रास्ता नहीं दिखता, जिससे हादसे का भय बना रहता है।
स्थानीय रहवासियों की मांग लेकिन प्रशासन मौन
लोगों का कहना है कि प्रशासन का नो एंट्री आदेश कागजी साबित हो रहा है। सड़कों पर पिचिंग और डामरीकरण की बजाय गिट्टी डस्ट डालकर खानापूर्ति की जा रही है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि सड़कों का पक्कीकरण किया जाए और भारी वाहनों पर सख्ती बरती जाए, ताकि धूल और दुर्घटनाओं से निजात मिल सके। प्रशासन की निष्क्रियता के चलते लोग हादसों और बीमारियों के साये में जीने को मजबूर हैं।