भालू के हमले ने फैलाई दहशत, बुजुर्ग गंभीर रूप से घायल; वन्य जीव-मानव संघर्ष पर वन विभाग की नाकामी उजागर
बलरामपुर। जिले के ग्राम पस्ता में आज एक मादा भालू और उसके दो शावकों ने 60 वर्षीय चरण नाग पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। बुजुर्ग के सिर और पैर में गहरी चोटें आई हैं, और उन्हें तत्काल जिला चिकित्सालय बलरामपुर में भर्ती कराया गया है। इस घटना ने क्षेत्र में दहशत फैला दी है, और स्थानीय लोग वन विभाग से गश्त बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उक्ताशय पर प्राप्त जानकारी अनुसार चरण नाग सुबह अपने घर से बाहर निकले ही थे कि मादा भालू और उसके शावकों ने उन पर हमला बोल दिया। करीब 10 मिनट तक चरण और भालू के बीच संघर्ष चला। उनकी चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे, जिसके बाद भालू जंगल की ओर भाग गया। ग्रामीणों ने तुरंत निजी वाहन से चरण को अस्पताल पहुंचाया। वन विभाग की टीम भी सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक भालू जंगल में गायब हो चुका था। वहीं दूसरी तरफ ऐसी घटनाओं के बाद वन विभाग पर दबाव बढ़ गया है। जानकार लंबे अरसे से सुझाव दे रहे हैं कि वन्य जीवों के लिए वैकल्पिक कॉरिडोर बनाए जाएं और स्थानीय लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाएं। जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का यह माहौल बना रहेगा।
बढ़ता वन्य जीव-मानव संघर्ष यह घटना बलरामपुर में वन्य जीव और इंसानों के बीच बढ़ते संघर्ष का ताजा उदाहरण है। जंगल क्षेत्रों के आसपास बसे गांवों में भालू, तेंदुआ और अन्य जंगली जानवरों के हमले अब आम हो गए हैं। स्थानीय जानकारों का मानना है कि जंगलों का कटाव, मानव अतिक्रमण और वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास में कमी इसके प्रमुख कारण हैं। बलरामपुर और आसपास के जिलों में ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे स्थानीय लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल है।
वन विभाग की नाकामी: वन विभाग पर इस तरह की घटनाओं को रोकने में नाकाम रहने का आरोप लग रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग की ओर से न तो नियमित गश्त की जा रही है और न ही जंगली जानवरों को आवासीय क्षेत्रों से दूर रखने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि वन विभाग जंगल और गांवों की सीमा पर बाड़बंदी करे और गश्त बढ़ाए ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।