किसान की गाढ़ी कमाई पर साया: 98 हजार लुटे, 4 साल बाद भी न्याय की आस... बैंक-दलालों की साजिश में फंसा जय सिंह, दर-दर भटक रहा है बुजुर्ग किसान
भैयाथान । किसान की मेहनत की कमाई पर अब सहकारी बैंक का भरोसा भी डगमगा गया है। ग्राम बंजा के 55 वर्षीय किसान जय सिंह गोंड की जिंदगी 2019 से ही ठहर सी गई है। उसके खाते से बिना बताए 98 हजार रुपये उड़ गए, लेकिन चार साल बाद भी न पैसा लौटा, न दोषी पकड़े गए। शिकायतें कलेक्टर से सांसद तक पहुंचीं, जांच हुई, लेकिन कार्रवाई? वो तो बस कागजों की धूल चाट रही है। जय सिंह आज भी दर-दर भटक रहा है, न्याय की गुहार लगा रहा है।कहानी शुरू होती है 23 मार्च 2019 से। जय सिंह के खाते से अचानक 49 हजार रुपये गायब! फिर 3 अप्रैल को दोबारा वही कहर- 49 हजार और उड़ गए। किसान हैरान, परेशान मेरा तो अंगूठा ही मेरा नहीं रहा वो चिल्लाते हैं। तुरंत शिकायत की- कलेक्टर, एसपी, बैंक मैनेजमेंट, यहां तक कि सांसद तक पहुंचे आवेदन। लेकिन हर दरवाजे पर वही जवाब: जांच हो रही है...
नोडल जांच में खुलासा: थंबप्रिंट फर्जी, फिर भी जांच ठप
अप्रैल 2021 में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के नोडल अधिकारी ने कमर कस ली। जांच की, रिपोर्ट बनाई। क्या मिला निकासी पर्ची पर लगे अंगूठे का निशान जय सिंह के असली निशान से जरा भी मेल नहीं खाता। रिपोर्ट में साफ लिखा- दोनों निकासी पर्चियां संदिग्ध। आग्रणी बैंक सूरजपुर के रिकॉर्ड चेक किए, लेकिन अंगूठा मैच ही नहीं। नोडल ने सीईओ अम्बिकापुर को चिट्ठी लिखी- जांच हों लेकिन चार साल हो गए, जांच का नामोनिशान नहीं। जय सिंह परेशान हो कर कहते हैं, मेरी कमाई पर किसी ने ठगी की, लेकिन कोई सुनने वाला ही नहीं।
तत्कालीन सांसद का हस्तक्षेप, फिर भी एसपी की उदासीनता
जब बात बिगड़ती गई, तो जय सिंह ने तत्कालीन सरगुजा सांसद व केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह का सहारा लिया। आवेदन दिया। मंत्री ने फौरन एसपी को पत्र लिखा- प्राथमिकी दर्ज करो, जांच शुरू करो लेकिन क्या हुआ..? बसदेई चौकी प्रभारी ने टाल दिया। कहा, आवेदक बढ़ा-चढ़ाकर शिकायत कर रहा है। रिपोर्ट ऊपर भेज दी, और मामला ठंडे बस्ते में जय सिंह का आरोप गंभीर है- बैंक मैनेजमेंट और स्थानीय दलालों की मिलीभगत से जांच को तोड़-मरोड़ दिया गया। मेरी मेहनत की कमाई पर साजिश रची गई।
एसडीएम जनदर्शन में फिर गुहार: त्वरित कार्रवाई की मांग
हाल ही में जय सिंह एसडीएम के जनदर्शन में पहुंचे। आंखों में आंसू, हाथों में पुरानी फाइलें। फिर से अर्जी दी- शासन-प्रशासन से गुजारिश है, इस गंभीर मामले पर तुरंत कार्रवाई हो। न्याय दो, वरना किसान का भरोसा कैसे बचेगा...? अब सवाल ये है- क्या जय सिंह को इंसाफ मिलेगा, या ये सिलसिला यूं ही चलेगा..? सहकारी बैंक का ये काली करतूतें किसानों के लिए सबक है। क्या प्रशासन जागेगा, या गरीब किसान की पुकार अनसुनी रह जाएगी..? इनका जबाब आने वाले समय में खुद ही हकीकत बनकर जाहिर होगा