विकलांग नहीं, दिव्यांगजन कहें—यह शब्द नहीं, सम्मान है : मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े
दिव्यांगजन सम्मान और समावेशन की मिसाल बना परिचय सम्मेलन
रायपुर।दिव्यांगजन केवल सहानुभूति के नहीं, बल्कि समान अवसर और सम्मान के अधिकारी हैं। उनकी क्षमताओं को पहचानना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। यह भाव महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद (छत्तीसगढ़ प्रांत) द्वारा आयोजित 16वें राज्य स्तरीय विवाह योग्य दिव्यांग युवक–युवती परिचय सम्मेलन में व्यक्त किए।आशीर्वाद भवन, बैरन बाजार में आयोजित इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री श्रीमती राजवाड़े ने कहा कि यह आयोजन केवल परिचय तक सीमित नहीं है, बल्कि दिव्यांग युवक–युवतियों के लिए गरिमापूर्ण, सुरक्षित और सशक्त वैवाहिक जीवन की दिशा में एक संवेदनशील पहल है। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में सहमति से बने जोड़ों का सामूहिक विवाह 28 फरवरी और 1 मार्च 2026 को संपन्न होगा।कार्यक्रम की एक उल्लेखनीय और प्रेरक उपलब्धि यह रही कि इसमें सामान्य युवक–युवतियों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और दिव्यांगजनों से विवाह के प्रति सकारात्मक सोच के साथ आगे आए। यह सामाजिक स्वीकार्यता, समानता और मानवीय संवेदना का जीवंत उदाहरण बना।मंत्री श्रीमती राजवाड़े ने समाज से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि “विकलांग” के स्थान पर “दिव्यांगजन” शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी आत्मसम्मान और आत्मबल को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से इस शब्द को अपनाने का आह्वान किया है। शब्द केवल अभिव्यक्ति नहीं होते, वे हमारी सोच, दृष्टि और संवेदना को भी दर्शाते हैं।उन्होंने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ सरकार दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा, उनके सामाजिक समावेशन और सम्मानजनक जीवन के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे आयोजन समाज में सकारात्मक सोच को मजबूती देते हैं और संवेदनशील भविष्य की नींव रखते हैं।कार्यक्रम में विधायक श्री पुरंदर मिश्रा, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. विनय पाठक, चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. विनोद पाण्डेय, अग्रवाल समाज अध्यक्ष श्री विजय अग्रवाल, कार्यक्रम संयोजक श्री विरेंद्र पाण्डेय, श्री राजेश अग्रवाल सहित अनेक गणमान्य नागरिक, बड़ी संख्या में दिव्यांगजन और उनके परिजन उपस्थित रहे। कुलमिलाकर सम्मेलन का माहौल आत्मीयता, विश्वास और नए जीवन की उम्मीदों से भरा रहा—जहां रिश्तों के साथ-साथ मानवीय संवेदना भी जुड़ती नजर आई।