खाद माफिया का काला खेल, किसके संरक्षण में लुट रहे अन्नदाता सवाल जस का तस
यूरिया-डीएपी गायब, आसमान छूती कीमतें; किसानों का गुस्सा फूटा, आंदोलन की चेतावनी
सूरजपुर/प्रतापपुर। सूरजपुर जिले का प्रतापपुर ब्लॉक इन दिनों किसानों के आक्रोश का गवाह बन रहा है। बुआई का वक्त है, मगर अन्नदाता खाली हाथ तड़प रहे हैं। सहकारी समितियों में खाद का अकाल, बाजार में कालाबाजारी की लूट, और कृषि विभाग की संदिग्ध चुप्पी! सवाल गूंज रहा है—यह काला खेल किसकी शह पर चल रहा है....? वहीं दूसरी तरफ यह आलम केवल प्रतापपुर में ही नहीं वरन जिले के सभी विकासखंड क्षेत्रों में खाद की किल्लत अब सिर्फ समस्या नहीं, बल्कि गहरी साजिश की बू दे रही है। क्या प्रशासन समय रहते जागेगा, या किसानों की चिंगारी सत्ता को झकझोर देगी....? जवाब की प्रतीक्षा है।
लूट का बाजार: पांच गुना दाम
यूरिया की सरकारी कीमत करीब 266 रुपये प्रति बोरी है, लेकिन बाजार में करीब 600 से 800 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। डीएपी करीब 1350 रुपये की जगह 1650-1900 रुपये तक में बिक रही है। प्रदेश किसान विकास महासंघ के प्रांताध्यक्ष विद्या सागर सिंह ने फटकार लगाते हुए कहा, “सोसायटियां खाली, किसान ठगे जा रहे हैं। कृषि विभाग तमाशबीन बना हुआ है।”
नेताओं ने फूंका बिगुल
वरिष्ठ नेता नवीन जायसवाल, त्रिभुवन सिंह, ज्वाला सिंह, छतरू राम, रामचंद्र पोया, मंगल सिंह, बृजलाल विश्वकर्मा, मानेश्वर राजवाड़े, मयंक जायसवाल, भैया लाल पैकरा, शिवकुमार जायसवाल, सुमेर सिंह और श्याम लाल ने प्रशासन को आड़े हाथों लिया। संयुक्त बयान में चेतावनी दी, “किसानों की जेब पर डकैती हो रही है। अगर खाद संकट न सुधरा, तो प्रतापपुर की धरती पर आंदोलन की आग भड़केगी।”
किसानों का अल्टीमेटम: सड़कों पर उतरेंगे
किसान विकास महासंघ ने ऐलान किया कि अगर तत्काल सरकारी दर पर खाद न मिला, तो जिले में उग्र आंदोलन छिड़ेगा। विद्या सागर सिंह ने कहा, “किसानों का धैर्य टूट चुका है। सरकार अब भी न जागी, तो सड़कों पर हजारों अन्नदाता उतरेंगे।”