तहसीलदार-नायब तहसीलदारों का अनिश्चितकालीन धरना: 17 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
अम्बिकापुर, 4 अगस्त 2025 । शहर के कला केंद्र मैदान में तहसीलदार और नायब तहसीलदार अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले शुरू हुआ यह आंदोलन अब पूरे प्रदेश में जोर पकड़ रहा है। एक ओर जहां ये अधिकारी आम जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए जिम्मेदार हैं, वहीं दूसरी ओर संसाधनों की कमी और बढ़ते कार्यभार के चलते इन्हें अब सड़कों पर उतरकर अपनी मांगें उठानी पड़ रही हैं।बहरहाल तहसीलदारों का यह आंदोलन न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है, बल्कि आम जनता के लिए भी चुनौती बन गया है। जानकारों की मानें तो यदि सरकार जल्द इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देती, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि छत्तीसगढ़ सरकार कब और कैसे इन अधिकारियों की मांगों का समाधान करती है। कुलमिलाकर छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ की मांगें पूरी होने तक यह धरना जारी रहेगा, और जनता की परेशानियां भी बढ़ती रहेंगी। ऐसे में सरकार और अधिकारियों के बीच जल्द संवाद की जरूरत है ताकि यह गतिरोध खत्म हो सके।
मांगों का केंद्र: संसाधन और सुविधाएं
तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की प्रमुख मांगों में सभी तहसीलों में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति, जैसे कंप्यूटर ऑपरेटर, नायब नाजिर, माल जमादार, भृत्य, वाहन चालक और पटवारी शामिल हैं। इसके अलावा, शासकीय वाहन या वाहन भत्ता, नायब तहसीलदार के पद को राजपत्रित करने, ग्रेड पे में सुधार, और डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति में 50:50 अनुपात की मांग प्रमुख है। संघ का कहना है कि बिना संसाधनों के कार्य करना अब असंभव हो चुका है। संसाधन नहीं तो काम नहीं के नारे के साथ शुरू हुआ यह आंदोलन अब जनता के लिए भी परेशानी का सबब बन रहा है, क्योंकि तहसील कार्यालयों में नामांतरण, बंटवारा, खसरा-खतौनी, और प्रमाण पत्र जैसे कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं।
धरने का प्रभाव: आमजन परेशान, कार्यालयों में सन्नाटा
शहर के कला केंद्र मैदान में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों का धरना चौथे दिन भी जारी रहा। इस अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण तहसील कार्यालयों में सन्नाटा पसरा है। दूर-दराज से आए लोग अपने कार्यों के लिए निराश होकर लौट रहे हैं। जमीन से जुड़े हजारों मामले पेंडिंग हो गए हैं, जिससे आम जनता को भारी असुविधा हो रही है।
सरकार की खामोशी, आंदोलन तेज करने की चेतावनी
छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले हड़ताल पर डटे सदस्यों ने बताया कि हमने लंबे समय से शासन को अपनी समस्याओं से अवगत कराया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब हमारे पास आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई से शुरू हुए चरणबद्ध आंदोलन के बाद 30 जुलाई तक सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई, जिसके चलते यह हड़ताल अनिश्चितकालीन हो गई।