दिल्ली की गलियों से गुमशुदा बालिका को खोज निकाला सरगुजा पुलिस ने, परिजनों में खुशी की लहर
अम्बिकापुर, 27 मई 2025। जिले की बतौली पुलिस ने मानवीय संवेदनशीलता और तकनीकी कुशलता का परिचय देते हुए एक गुमशुदा बालिका को दिल्ली की भीड़भाड़ वाली गलियों से खोज निकाला। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आईपीएस श्री राजेश कुमार अग्रवाल के कड़े निर्देशों के तहत गुमशुदा व्यक्तियों की त्वरित बरामदगी के अभियान में यह एक और मील का पत्थर साबित हुआ है। पुलिस ने न केवल बालिका को सकुशल बरामद किया, बल्कि उसे गवाहों की मौजूदगी में उसके परिजनों को सौंपकर परिवार की खुशियां लौटा दीं। उक्ताशय पर प्राप्त जानकारी अनुसार बीते 12 अप्रैल 2025 को बतौली थाने में पिता ने थरथराती आवाज में अपनी बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि 9 अप्रैल 2025 की शाम करीब 5 बजे उनकी बेटी बिना बताए घर से कहीं चली गई थी। परिवार ने आसपास के इलाकों, रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों में तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। कई दिनों तक बेटी की कोई खबर न मिलने से परिजन हताश हो चुके थे। शिकायत मिलते ही बतौली पुलिस हरकत में आई। थाना प्रभारी सी.पी. तिवारी की अगुवाई में तत्काल गुमशुदा की प्रविष्टि दर्ज की गई और जांच शुरू की गई। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आईपीएस श्री राजेश अग्रवाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बतौली पुलिस और साइबर सेल की संयुक्त टीम गठित की। साइबर सेल की मदद से तकनीकी संसाधनों का उपयोग करते हुए पुलिस को पता चला कि गुमशुदा बालिका दिल्ली में है। इस जानकारी ने जांच को नई दिशा दी। वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में बतौली पुलिस की एक विशेष टीम तत्काल दिल्ली रवाना हुई। दिल्ली जैसे विशाल और अनजान महानगर में एक बालिका को ढूंढना किसी चुनौती से कम नहीं था। फिर भी, पुलिस ने हिम्मत नहीं हारी। साइबर सेल की तकनीकी विशेषज्ञता और स्थानीय पुलिस के सहयोग से टीम ने दिन-रात मेहनत की। कई संभावित ठिकानों की तलाशी और गहन पतासाजी के बाद आखिरकार बालिका को दिल्ली के एक इलाके से बरामद कर लिया गया। बरामदगी के बाद बालिका से पूछताछ में एक मार्मिक कहानी सामने आई। उसने बताया कि वह अपने परिवार की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए कुछ करना चाहती थी। गांव के एक युवक ने उसे दिल्ली में काम दिलाने का वादा किया था, जिसके भरोसे वह घर छोड़कर चली गई। दिल्ली में वह घरों में साफ-सफाई का काम कर रही थी। बालिका ने यह भी स्पष्ट किया कि उसके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं हुआ। बहरहाल गवाहों की मौजूदगी में बालिका को सकुशल उसके परिजनों को सौंप दिया गया। बेटी को देखते ही माता-पिता की आंखें खुशी से छलक उठीं। परिजनों ने बतौली पुलिस और साइबर सेल की टीम का दिल से आभार जताया। इस जटिल ऑपरेशन में थाना प्रभारी बतौली उपनिरीक्षक सी.पी. तिवारी, प्रधान आरक्षक सुमन कुजूर, आरक्षक सुल्तान अहमद, महिला आरक्षक मेरी क्लारेट और साइबर सेल के आरक्षक रमेश राजवाड़े की भूमिका अहम रही।