पंडो जनजाति के घरों में अब भी अंधेरा: खंभे लगे, तार गायब, सरकारी लापरवाही से 11 परिवारों की जिंदगी मुश्किल

पंडो जनजाति के घरों में अब भी अंधेरा: खंभे लगे, तार गायब, सरकारी लापरवाही से 11 परिवारों की जिंदगी मुश्किल

वर्षों की उदासीनता ने तोड़ी उम्मीदें, बच्चे पढ़ाई होती प्रभावित, परेशान महिलाएं हमर उत्थान सेवा समिति ने उठाई आवाज, कलेक्टर से लगाई गुहार

सूरजपुर । विकास की चकाचौंध में चमकते शहरों से दूर, जिले के प्रेमनगर ब्लॉक में धनुहारपारा मोहल्ले के पंडो जनजाति के लोग आज भी उस अंधेरे में जीने को मजबूर हैं, जहां एक बल्ब की रोशनी भी नसीब नहीं। सरकारी योजनाओं के तहत सालों पहले बिजली के खंभे तो लगा दिए गए, लेकिन तार खींचने का काम आज तक अधर में लटका है। इस लापरवाही ने 11 परिवारों के करीब 30 सदस्यों की जिंदगी को नर्क बना दिया है। बच्चे कभी मोमबत्ती तो कभी ढिबरी की टिमटिमाती रोशनी में पढ़ाई करने को विवश हैं, महिलाएं शाम ढलते ही सांप-बिच्छू के डर से सहम जाती हैं। यह सिर्फ बिजली की कमी नहीं, बल्कि इंसानी संवेदनाओं पर चोट है, जहां संरक्षित जनजाति के लोग मूलभूत अधिकारों से महरूम हैं। यहां के ग्रामीणों की आंखों में आंसू और दिल में आक्रोश साफ झलकता है। एक बुजुर्ग पंडो महिला बताती हैं, रात को घर में इतना अंधेरा होता है कि बच्चों को खिलाना-पिलाना भी मुश्किल हो जाता है। सांप-बिच्छू का डर तो अलग से सताता है। सरकार हर घर बिजली का वादा करती है, लेकिन हमारे मोहल्ले में तो खंभे भी सिर्फ दिखावा बनकर रह गए। बच्चों की पढ़ाई बाधित होने से उनके सपने कुचले जा रहे हैं। यह स्थिति केवल विद्युत विभाग की लापरवाही नहीं, बल्कि जिला प्रशासन व आदिवासी विकास विभाग की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है। पंडो जनजाति को संरक्षित समुदाय का दर्जा मिला है, फिर भी उनके लिए योजनाएं कागजों तक सिमट गईं। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी खंभे लगाने के बाद कभी लौटकर नहीं देखे। फोटो खिंचवाकर विकास का ढोल पीटते हैं, लेकिन असल काम अधूरा छोड़ देते हैं, यहां के एक ग्रामीण ने तंज कसते हुए कहा। वहीं दूसरी तरफ केंद्र और राज्य सरकारों की 'सौभाग्य योजना' जैसे कार्यक्रमों का यहां कोई असर नहीं दिखता, जहां महज 100 मीटर तार खींचने से दर्जनों जिंदगियां रोशन हो सकती थीं। बहरहाल इस दर्द को आवाज देने के लिए 'हमर उत्थान सेवा समिति' आगे आई है। समिति के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश साहू ने कलेक्टर सूरजपुर को आवेदन सौंपते हुए कहा, यह देरी नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की बेरुखी है। पंडो परिवारों को अंधेरे में छोड़ना शर्मनाक है। हम जनता की आवाज हैं और जब तक बिजली नहीं पहुंचेगी, हमारी लड़ाई जारी रहेगी। इसके साथ ही ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से अपील की है कि तत्काल तार खींचकर बिजली आपूर्ति शुरू की जाए। यह न सिर्फ एक तकनीकी सुधार होगा, बल्कि इंसानियत की जीत भी। क्या अब जिम्मेदार जागेंगे और इन परिवारों की जिंदगी में रोशनी आएगी..? समय बताएगा, लेकिन पंडो जनजाति की उम्मीदें अब भी टिमटिमा रही हैं।