बुखार से जूझते नान कोड़ाकु को कंधे पर लादे करीब 17 किमी पैदल चले परिजन,वायरल वीडियो ने खोली स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल
सूरजपुर (प्रतापपुर)। छत्तीसगढ़ सरकार की 'हर घर तक स्वास्थ्य सुविधा' और 'आयुष्मान भारत' जैसे तमाम दावों के बीच एक व्यक्ति की व्यथा ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत गोरगी अंतर्गत रमका पारा के निवासी नान कोड़ाकु को बुखार से तड़पते देखने लायक कोई इंतजाम न होने पर उनके परिजनों ने उन्हें छलगी में लादकर करीब 17-18 किलोमीटर पैदल तय किया। पैसों की तंगी और सुविधाओं के अभाव में यह मजबूरी की मिसाल बन गई, जिसकी तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। उक्ताशय पर प्राप्त जानकारी अनुसार कुछ दिनों से तेज बुखार और कमजोरी से जूझ रहे नान कोड़ाकु के परिवार ने बताया कि पैसे के अभाव में खुद ही कंधों पर उठाकर चलना पड़ा। रास्ते में जंगलों और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरते हुए परिजनों की आंखों में आंसू थे, लेकिन मजबूरी ने उन्हें रुकने न दिया।आखिरकार, रास्ते में एक दयालु राहगीर की मदद से उन्हें समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती कर इलाज शुरू किया है, और फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन के 'हर बस्ती तक स्वास्थ्य केंद्र' के वादे और राज्य सरकार की करोड़ों की योजनाओं के बावजूद यह घटना स्वास्थ्य व्यवस्था की काली सच्चाई को उजागर करती है। सवाल उठता है कि क्या सरकारी दावे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं....? स्थानीय लोगों ने मांग की है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गांवों में मोबाइल एम्बुलेंस और सड़क सुविधाएं तत्काल उपलब्ध कराई जाएं।यह वायरल वीडियो न केवल एक परिवार की पीड़ा का प्रतीक है, बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही का आईना भी। क्या अब जिला प्रशासन इस पर ध्यान देगा, या यह फिर से पुराने मामलों की तरह भुला दिया जाएगा....?
नोट -समाचार प्रारंभिक रूप से मिली जानकारी अनुसार समाचार प्रसारित किया गया है