भैयाथान तहसील में नामांतरण गड़बड़झाला: जानकारी मिडिया कर्मियों को होने पर अब सबूत मिटाने की कवायद जोरों शोरों से

भैयाथान तहसील में नामांतरण गड़बड़झाला: जानकारी मिडिया कर्मियों को होने पर अब सबूत मिटाने की कवायद जोरों शोरों से

भैयाथान। तहसील कार्यालय भैयाथान में एक और नामांतरण में गड़बड़झाले से जुड़े मामले पर अब सबूत मिटाने की साजिश रची जा रही है। दरअसल ग्राम पंचायत दनौली खुर्द की खसरा क्रमांक 224, रकबा 0.0500 हेक्टेयर जमीन, जो स्व. अमरसाय के नाम दर्ज थी, उनकी जीवित पत्नी और वैधानिक वारिसों को दरकिनार कर मंजीत नामक व्यक्ति के नाम कर दी गई। यह नामांतरण न तो राजस्व संहिता 1959 की धारा 109 के तहत हुआ और न ही उत्तराधिकार अधिनियम का पालन किया गया। सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही मीडिया को इस गड़बड़ी की भनक लगी और पत्रकार तहसील कार्यालय व गांव में जानकारी जुटाने पहुंचे, संलिप्त राजस्व कर्मियों और अधिकारियों ने मामले पर पर्दा डालने की कवायद शुरू कर दी।वहीं दूसरी तरफ इस गड़बड़ी ने भैयाथान तहसील कार्यालय की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा कर दिया है। जनता की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या प्रशासन इस मामले की गहराई तक जाएगा या सबूत मिटाकर भ्रष्टाचार पर पर्दा डाला जाएगा। 

फर्जी इश्तहार, जाली हस्ताक्षर

मामले की पड़ताल में सामने आया कि नामांतरण के लिए जारी इश्तहार में भारी गड़बड़ी की गई। एक ही व्यक्ति ने 5-6 ग्रामीणों, पंच और चौकीदार के फर्जी हस्ताक्षर किए। सरपंच सपना सिंह के समक्ष पंच पूजा सिंह और चौकीदार अभिमन्यु ने स्पष्ट किया कि उनके हस्ताक्षर जाली हैं। हैरानी की बात यह कि इश्तहार में इंदकुंवर नाम की महिला को पंच बताया गया, जो पंचायत में है ही नहीं। सूत्रों का दावा है कि नायब तहसीलदार और संबंधित पटवारी ने मोटी रकम लेकर यह फर्जीवाड़ा अंजाम दिया।

सबूत मिटाने की कवायद जोरों शोरों से 

जैसे ही मीडिया ने इस गड़बड़ी की तहकीकात शुरू की, तहसील कार्यालय में हड़कंप मच गया। सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार को राजस्व कर्मियों ने मामले की नकल देने से इनकार कर दिया और शनिवार-रविवार की छुट्टियों का फायदा उठाकर खामियों को दुरुस्त करने में जुट गए। यह कवायद साफ संकेत देती है कि संलिप्त अधिकारी और कर्मचारी सबूत मिटाने की कोशिश में हैं। 

तहसील कार्यालय में खलबली

इस खुलासे ने तहसील कार्यालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। क्या बिना मोटी रिश्वत के इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव था...? क्या जिम्मेदार अधिकारी इस भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जाँच करेंगे या मामले को दबाने की साजिश रचेगी...?