'वर्क आफ्टर ब्रेक' थीम पर 22 दिसंबर से 3 दिन की हड़ताल, सरकारी दफ्तर ठप
सूरजपुर। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने सरकार की 'उपेक्षा की होली' पर आग बबूला हो गया है। लंबित 11 सूत्रीय मांगों पर ठंडी सांस ले रही भाजपा सरकार को जगाने के लिए फेडरेशन ने 22 से 24 दिसंबर तक 3 दिवसीय हड़ताल का बिगुल फूंक दिया। थीम है-'वर्क आफ्टर ब्रेक'! इस दौरान सभी सरकारी कार्यालयों में तालाबंदी होगी, कामकाज पूरी तरह ठप। जिला स्तरीय बैठक में सैकड़ों कर्मचारी- अधिकारी एकजुट होकर चेतावनी दी- मांगें मानो, वरना अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है।जिला संयोजक डॉ. आरएस सिंह ने बताया कि 19 नवंबर को प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा की अगुवाई में कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया। मोदी सरकार की 'गारंटी' के नाम पर छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों को 3 फीसदी महंगाई भत्ता (डीए) तक नहीं मिल रहा। ऊपर से 80 माह का लंबित एरियर्स जीपीएफ खाते में जमा करने का वादा हवा में उड़ गया। फेडरेशन ने चिट्ठियां भेजीं, एकदिनी हड़ताल की, लेकिन शासन 'सोया' रहा। अब 'जागो सरकार जागो' का नया रंग है- 'वर्क आफ्टर ब्रेक'
बहरहाल इस बैठक में जिला संयोजक डॉ. आरएस सिंह, प्रतिमा सिंह, इकबाल अंसारी, ज्योति साधना श्रीवास्तव, प्रीति तिग्गा, आदित्य शर्मा, अनुरंजन देव, निर्मल भट्टाचार्य, विजय साहू, मनीष दीपक साहू, महेश पैकरा, आदेश रवि, रमेश राजवाड़े, राधेश्याम साहू के अलावा ब्लॉक संयोजक राजकुमार सिंह, सतीश प्रताप सिंह, राकेश शुक्ला, अमरनाथ चौबे, अवधेश यादव, भुवनेश्वर सिंह, माया शर्मा, आरएन साहू, रज्जाक अंसारी, यशवंत प्रताप सिंह, अरुण प्रताप सिंह, शिखा बछार, पूनम शर्मा, मंजू साहू समेत सैकड़ों उपस्थित। फेडरेशन चेताता है- कर्मचारी जागे हैं, सरकार सो न रहे!
महिलाओं की अपील: एकजुट होकर लड़ें
जिला संयोजक (महिला प्रकोष्ठ) श्रीमती प्रतिमा सिंह ने साथी महिलाओं से कहा, "हमारी एकता ही ताकत है। आंदोलन में कूद पड़ें, ताकि सरकार की नींद टूटे।" जिला महासचिव इकबाल अंसारी और मीडिया प्रभारी राधेश्याम साहू ने चेताया, "शासन का वादाखिलाफी रवैया ही जिम्मेदार होगा। अगर मांगें पूरी न हुईं, तो अनिश्चित हड़ताल से दफ्तरों का ताला न खुलेगा!"
ये हैं फेडरेशन की मुख्य मांगों में शामिल :
केंद्र की तर्ज पर डीए और पेंशनरों को भत्ता।
2019 से लंबित डीए एरियर्स जीपीएफ में जमा।
चार स्तर के समयमान वेतनमान सभी संवर्गों को।
लिपिक, शिक्षक, स्वास्थ्य, महिला-बाल विकास में वेतन विसंगति दूर।
पिंगुआ कमेटी रिपोर्ट सार्वजनिक।
पहली नियुक्ति से सेवा लाभ गणना।
सहायक शिक्षक, पशु चिकित्सा अधिकारियों को तृतीय समयमान।जैसी अन्य लंबित मांगें जो कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।