सखी वन स्टॉप सेंटर सूरजपुर ने किया कमाल 13 साल बाद भटकती महिला को परिवार से मिलाया
सूरजपुर । रेलवे ट्रैक के किनारे तड़पती एक अज्ञात महिला, आंखों में खोयापन,चेहरे पर दर्द की परतें और दिल में गुमशुदा रिश्तों की चीख... 13 साल से जिंदगी की राहों में भटकती इस महिला की किस्मत ने अचानक करवट ली, जब सखी वन स्टॉप सेंटर सूरजपुर की संवेदनशील टीम ने उसे न सिर्फ सहारा दिया बल्कि वर्षों पहले छूटे परिवार से मिलवाने में सफलता प्राप्त कर अपने उद्देश्य को सार्थक करते हुए उदाहरण पेश किया है। दरअसल उक्त महिला रामानुजनगर रेलवे स्टेशन के पास घायल और अर्धविक्षिप्त हालत में मिली 42 वर्षीय महिला को सखी सेंटर ने तत्काल शरण दी। डॉक्टर्स ने इलाज शुरू किया और टीम ने उसकी बोली पर गौर किया—बिहारी लहजा, छपरा-बाहस का जिक्र। यहीं से शुरू हुई तलाश की कहानी। सोशल मीडिया, थाने, व्हाट्सएप—हर तरफ उसकी पहचान के सुराग खोजे गए।कई प्रयासों के बाद पता चला—वो पूर्वी चंपारण, बिहार की रहने वाली है। जैसे ही बेटे से वीडियो कॉल पर बात कराई गई, आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई। बेटे की आवाज सुनते ही मां की सूनी आंखों में पहचान की चमक लौट आई। 13 साल की जुदाई का दर्द खुशी के सैलाब में बह गया।दो दिन का सफर तय कर परिवार सूरजपुर पहुंचा। सखी सेंटर में मां-बेटे का मिलन किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। परिवार ने बताया, पति की मौत के बाद मानसिक तनाव में वह घर से निकल गई थी। सालों तलाश की, पर कोई पता न चला।सखी सेंटर ने उन्हें पूरी काउंसलिंग और सहायता दी। जिला कार्यक्रम अधिकारी शुभम बंसल ने भी आर्थिक सहयोग प्रदान किया। परिवार खुशी-खुशी बिहार लौट गया।ये सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि हर खोई हुई बेटी के लिए एक संदेश है—अगर सखी है... तो उम्मीद है,मानवता की इस जीत ने पूरे सूरजपुर को भावुक कर दिया।