जंगल में बाघ की दस्तक: ग्रामीणों में दहशत,पूरानी यादें ताजा;विभाग ने बढ़ाई निगरानी
सूरजपुर(ब्रेकिंग)। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के चांदनी बिहारपुर इलाके में बाघ के दाखिल होने से ग्रामीणों की नींद उड़ी हुई है। अपुष्ट सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश के संजय पार्क से होते हुए यह बाघ छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में घुस आया है। बैजनपाठ, लुल्ह और मोहरसोप के घने जंगलों में इसके पैरों के निशान मिले हैं, जिनकी वन विभाग ने पुष्टि की है। महुली गांव के लोग सहमे हुए हैं, क्योंकि बीते वर्षों पूर्व ओड़गी ब्लॉक के कालामांजन में बाघ ने तीन ग्रामीणों पर जानलेवा हमला किया था। उसमें एक की मौत हो गई थी, जबकि दो घायल हुए थे। बाद में विभाग ने बाघ को पकड़कर रेस्क्यू किया था। वहीं दूसरी तरफ गुरु घासीदास पार्क में बाघ की वापसी वन्यजीव संरक्षण के लिए अच्छा संकेत है, लेकिन ग्रामीणों की जानमाल की हिफाजत और शिकारियों पर लगाम कसना विभाग के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
शिकारियों की बढ़ती सक्रियता से खतरा और बढ़ा:
ग्रामीणों का आरोप है कि इलाके में शिकारी बेखौफ घूम रहे हैं। कई बार बाघ और तेंदुए की खाल जब्त हो चुकी है। पिछले एक साल में सूरजपुर से हाथी दांत और जंगली जानवरों की खाल के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन यह साफ नहीं कि ये जानवर कब और कैसे मारे गए। स्थानीय लोग वन विभाग पर लापरवाही बरतने का इल्जाम लगा रहे हैं।
वन अधिकारियों ने बिहारपुर क्षेत्र के एक पत्रकार से चर्चा में यह कहा
डिप्टी रेंजर सूर्यभान सिंह:बाघ के पदचिह्न मिले हैं, हम सतर्क हैं।
रेंजर मेवालाल पटेल:पिछले 5 दिनों से बिहारपुर में बाघ विचरण कर रहा है।
रेंजर ललित सायं पैकरा: बाघ की मौजूदगी की जानकारी है, शिकारियों से बचाने के लिए गोपनीय निगरानी जारी है।